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अमरनाथ यात्रा फिर शुरू, जम्मू से रवाना हुआ 7,908 श्रद्धालुओं का एक और जत्था

श्रीनगर । जम्मू से अमरनाथ यात्रा फिर से शुरू हो गई है। खराब मौसम के कारण यात्रा को एक दिन के लिए रोका गया था। इसके अगले दिन शुक्रवार को जम्मू से 7,908 श्रद्धालुओं का एक नया जत्था अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना हुआ। अधिकारियों ने बताया कि 3 जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में अब तक 2.52 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।

अधिकारियों ने बताया, “शुक्रवार को 7,908 यात्रियों का यह जत्था भगवती नगर यात्री निवास से दो सुरक्षा काफिलों में घाटी के लिए रवाना हुआ। 92 वाहनों का पहला सुरक्षा काफिला 2,879 यात्रियों को लेकर सुबह 3.30 बजे बालटाल कैंप के लिए रवाना हुआ, जबकि 169 वाहनों का दूसरा सुरक्षा काफिला 5,029 यात्रियों को लेकर सुबह 4.25 बजे नुनवान (पहलगाम) कैंप के लिए रवाना हुआ।”

इससे पहले, 10 जुलाई को पहलगाम में ‘छड़ी मुबारक’ (भगवान शिव की पवित्र गदा) का भूमि पूजन किया गया। छड़ी मुबारक के एकमात्र संरक्षक महंत स्वामी दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में संतों के एक समूह द्वारा छड़ी मुबारक को श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़ा भवन से पहलगाम लाया गया। पहलगाम में छड़ी मुबारक को गौरी शंकर मंदिर ले जाया गया, जहां भूमि पूजन हुआ। फिर छड़ी मुबारक को दशनामी अखाड़ा भवन स्थित अपने स्थान पर वापस ले जाया गया।

यह 4 अगस्त को श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़ा मंदिर से गुफा मंदिर की ओर अपनी अंतिम यात्रा शुरू करेगी और 9 अगस्त को पवित्र गुफा मंदिर पहुंचेगी, जो यात्रा का आधिकारिक समापन होगा।

इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए कई स्तरों वाली सुरक्षा व्यवस्था की गई है। यह यात्रा 22 अप्रैल के कायराना हमले के बाद हो रही है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम के बैसरन मैदान में आस्था के आधार पर पहचान करके 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी।

सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा संख्या बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं।

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई और 9 अगस्त को समाप्त होगी। यह कुल 38 दिनों की यात्रा है, जो श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी।

यह यात्रा 3888 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा तक होती है, जहां भगवान शिव का प्राकृतिक हिम शिवलिंग स्थापित होता है, जो चंद्रमा की कलाओं के अनुसार घटता-बढ़ता है। भक्तों का मानना है कि बर्फ की यह संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है।

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