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मानसून सत्र : विपक्ष ने की एसआईआर को वापस लेने की मांग, कहा- मजबूती के साथ लड़ेंगे लड़ाई

नई दिल्ली । बिहार में जारी मतदाता लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है और डरी हुई है।


कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “हम सदन चलाना चाह रहे हैं और हमारी मांग है कि नेता विपक्ष को बोलने का एक मौका दिया जाए। सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है और डरी हुई है। उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद वह समझ नहीं पा रहे हैं कि आगे क्या करना है। प्रधानमंत्री खुद विदेश दौरे पर हैं। हमें उम्मीद है कि वह वापस आएंगे तो कोई न कोई प्रस्ताव जरूर रखेंगे।”
उन्होंने कहा, “इस सप्ताह का आज आखिरी दिन है, और मैं उम्मीद करता हूं कि आज सदन की कार्यवाही चलेगी। हमारी आज भी यही मांग है कि विपक्ष के नेता को बोलने दिया जाए।”


कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने विशेष गहन पुनरीक्षण पर कहा, “बिहार में 62 लाख वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं। यह फैसला देश और गरीबों के साथ धोखा है। इसके खिलाफ हम लड़ते रहेंगे और राहुल गांधी के नेतृत्व में आवाज उठाते रहेंगे।”


कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने कहा, “यह सिर्फ कांग्रेस की नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष की मांग है। हम मुद्दों पर आधारित विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जब हम किसी अलग मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करते हैं, तो हमारा कोई भी सहयोगी हमारे साथ नहीं आता, लेकिन हमने इस मामले पर एकजुट होकर मांग की है, जो बेहद महत्वपूर्ण और गंभीर चर्चा का विषय है। इस पर पुनर्विचार करने और एसआईआर को वापस लेने की जरूरत है।”


टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने एसआईआर के मुद्दे पर कहा, “हम सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने जिस तरह से एसआईआर को लागू किया है, उससे हजारों लोग अपने मताधिकार से वंचित हो रहे हैं, खासकर आम नागरिक, दिहाड़ी मजदूर और प्रवासी मजदूर जो रोजगार के लिए राज्यों के बीच जाते हैं। उनके मताधिकार को छीना जा रहा है। इसलिए हम कड़ा विरोध कर रहे हैं। हमने इस संबंध में कई नोटिस भी जमा किए हैं। मैं मानती हूं कि इस फैसले का कड़ा विरोध होना चाहिए।”


विशेष गहन पुनरीक्षण पर समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, “हम जनता के आशीर्वाद और समर्थन से संसद में मजबूती के साथ लड़ाई लड़ेंगे, ताकि सरकार या आयोग इस फैसले को वापस लेने पर मजबूर हो जाए।”

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