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देश में न्यायपालिका का ‘भारतीयकरण’ करने की आवश्यकता: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

नयी दिल्ली, 18 मार्च : उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड ने कहा है कि देश में न्यायपालिका का ‘भारतीयकरण’ करने की आवश्यकता है और इसकी शुरुआत अदालत की भाषा से होनी है।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम शुरू हो चुका है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यहां इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 के दूसरे और अंतिम दिन ‘संतुलन करने में न्याय: भारत के बारे में मेरा विचार तथा लोकतंत्र में शक्तियों के पृथक्करण’ विषय पर एक सत्र को संबोधित करते हुए देश में न्यायपालिका का ‘भारतीयकरण’ करने की आवश्यकता के बारे में बात की।

उन्होंने कहा,“इसका पहला हिस्सा जहां हमें न्यायपालिका का भारतीयकरण करना है, वह अदालत की भाषा है।” उन्होंने कहा कि जिला अदालतों में चर्चा और बहस की भाषा सिर्फ अंग्रेजी नहीं है। लेकिन ऊंची अदालतों, उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में बहस केवल अंग्रेजी में होती है। उन्होंने ऊंची अदालतों में अग्रेजी के प्रयोग के बारे में कहा,‘‘अब, यह शायद औपनिवेशिक विरासत का एक हिस्सा है, या यह इसलिए भी हो सकता है कि अंग्रेजी एक ऐसी भाषा है जिसमें कानून और निर्णयों के संदर्भ में हमारे पास सबसे अधिक सुविधा है। ”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,“लेकिन यदि हम वास्तव में नागरिकों तक पहुंचना चाहते हैं, तो हमें उन भाषाओं में उन तक पहुंचना होगा, जिन्हें वे समझते हैं।”

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इस दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।

मनोहर.संजय

वार्ता

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