पाकिस्तानी जासूसों का मकड़जाल
विक्रम सिंह
पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों की ओर से 26 निर्दोष भारतीयों की उनका मजहब पूछकर हत्या करने और आपरेशन सिंदूर के बाद से देश के अनेक हिस्सों से एनआइए सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बंगाल, असम आदि राज्यों में करीब दो दर्जन पाकिस्तानी जासूस गिरफ्तार किए हैं।
अब तक जो गिरफ्तारियां हुई हैं, उनमें सर्वाधिक चर्चित ज्योति मल्होत्रा है। वह एक ट्रैवल ब्लागर है। वह पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग गई थी। वह अन्य मौकों पर भी वहां जाती थी। वह कई बार पाकिस्तान गई और वहां पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम शरीफ से भी मिली। उसके साथ जसबीर सिंह को भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वह भी ब्लागर है।
इनके अलावा कुछ और गिरफ्तारियां हुई हैं। इनमें एक है रविंद्र मुरलीधर वर्मा, जो मुंबई में सुरक्षा ठेकेदार था। आरोप है कि उसने नौसेना के 14 जहाजों सहित सामरिक महत्व की कई जानकारियां पाकिस्तानी हैंडलरों को दी। वर्मा अपने कार्यालय जाकर सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मानचित्रों, सूचनाओं और अभिलेखों को किसी तरह अपने लैपटाप के जरिये आइआसआइ के एजेंटों को भेजता था। एक अन्य अमन यादव को भी एनआइए ने जासूसी के आरोप में गोरखपुर से गिरफ्तार किया है।
सीआरपीएफ के मोतीराम जाट को भी पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में पकड़ा गया है। यूपी एटीएस ने रामपुर से जिस शहजाद को गिरफ्तार किया, उसका पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों से संबंध था। यही कहानी हरियाणा के तारीफ की है। वह पांच बार पाकिस्तान गया और फिर एक लाख रुपये के लालच में उसने सेना के ठिकानों की जानकारी पाकिस्तानी उच्चायोग के उस अधिकारी को दी, जो उसे और उसके दोस्तों को पाकिस्तान का वीजा दिलाता था।
पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों में अजनाला के दो ऐसे लोग भी हैं, जो पहले दलित थे और फिर ईसाई बन गए थे। यह इसलिए हैरान करता है, क्योंकि पाकिस्तान में तो ईसाइयों पर बहुत अत्याचार होते हैं। नोमान इलाही, देवेंद्र सिंह ढिल्लन, मुर्तजा अली, सुखप्रीत, करनबीर, यासीन, गजाला खातून, सूरज मसीह जैसे अन्य लोग भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं। यह सिलसिला अब भी कायम है।
ट्रैवल ब्लागर से लेकर सुरक्षा गार्ड, एप डेवलपर, आम नागरिक तक जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं, जो हनी ट्रैप या पैसे के लालच में फंसकर देश की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को लीक कर रहे थे। महाराष्ट्र में 65 साल के साकिब ने तो हद ही कर दी। 1993 के मुंबई एवं अन्य बम विस्फोटों में वह पोटा और टाडा में दस-दस साल की सजा काट चुका है। वह अफगानिस्तान जाकर अफगान मुजाहिदीन के साथ मिलकर रूसी सेना से युद्ध भी कर चुका है।
2023 में जब एनआइए ने उसके यहां छापा मारा, तो उसके घर से आइएसआइएस के झंडे, एक-47, तलवार और जिहादी सामग्रियां मिलीं। वह आइएसआइएस की सदस्यता और समर्थन की शपथ भी ले चुका था। उसने अपने गांव पगड़ागांव का नाम बदलकर अलशाम रख लिया था और उसे सीरिया की तरह स्वतंत्र क्षेत्र बनाना चाहता था। प्रतीत होता है कि उसके अतीत को देखते हुए उसकी जिस स्तर की निगरानी होनी चाहिए थी, वह नहीं की गई। ऐसे तत्वों की निगरानी का स्तर तो उच्च कोटि का होना चाहिए।
प्रत्येक थाने में एक लापता पाकिस्तानी नागरिक रजिस्टर होता है, जिसमें पाकिस्तान के ऐसे नागरिकों का लेखा-जोखा होता है, जो भारत तो आते हैं, परंतु भूमिगत हो जाते हैं या लापता हो जाते हैं। ऐसे तत्वों पर नजर रखी जानी चाहिए। पाकिस्तानी जासूसों की गिरफ्तारी से यह पता चलता है कि पाकिस्तान कैसे जासूस तैयार करता है। आइएसआइ चार तरीकों से भारत में अपना जासूसी तंत्र खड़ा कर रही है। सबसे पहला है धन का प्रलोभन। दूसरा माध्यम है लोकप्रियता और प्रसिद्धि दिलाने का लालच।
जैसे जसबीर सिंह, ज्योति मल्होत्रा के फालोवर्स की संख्या बढ़ाने में आइएसआइ का योगदान रहा। इसके अलावा हनी ट्रैप के माध्यम से भी कई भारतीय नागरिकों को फंसाकर जासूसी कराई जाती है। अंतिम बिंदु है जिहाद का। इसके तहत आइएसआइ गजवा-ए-हिंद पर यकीन रखने या कट्टरपंथी सोच वालों को भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करती है।
इसके लिए वह जिहादी साहित्य के जरिए उन्हें भारत के खिलाफ खड़ा होने के लिए उनका ब्रेनवाश करती है। यह स्थिति गंभीर है और बताती है कि भारत पर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। जासूसी के इस मकड़जाल को तोड़ने के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके लिए विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं और सर्विलांस उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे पाकिस्तान और आइएसआइ के मंसूबे विफल हों और भारत सुरक्षित रहे।
(लेखक उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी हैं)