सुप्रीम काेर्ट का सभी राज्यों को आदेश- दो माह में बनाएं कोचिंग सेंटरों के लिए सख्त नियम
नई दिल्ली, 25 जुलाई । उच्चतम न्यायालय के जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की खुदकुशी और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर देश भर के सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किये हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों के दो महीनों के अंदर कोचिंग सेंटरों के लिए सख्त नियम बनाने का आदेश दिया है, जिसमें कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण, छात्रों की सुरक्षा और शिकायत निवारण तंत्र अनिवार्य होगा।
न्यायालय ने कहा कि कोचिंग सेंटरों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए खास उपाय करने होंगे। न्यायालयने कहा कि सभी राज्य सरकारें कोचिंग सेंटरों की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। इसके अलावा आग से सुरक्षा, बिल्डिंग सुरक्षा, और आपातकालीन निकास जैसे मानकों का पालन करना होगा। छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों के लिए एक साफ-सुथरा सिस्टम बनाना होगा। सभी शैक्षणिक संस्थानों और खासकर कोचिंग सेंटरों को एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति बनानी और लागू करनी होगी।
कोर्ट ने कहा कि जिन कोचिंग सेंटरों में 100 या उससे ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, उन्हें कम से कम एक प्रमाणित काउंसलर, मनोवैज्ञानिक या सोशल वर्कर रखना होगा। इस काउंसलर को बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। जिन कोचिंग सेंटरों में 100 से कम छात्र हैं उन्हें बाहरी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ औपचारिक रेफरल सिस्टम बनाना होगा ताकि जरुरत पड़ने पर छात्रों को प्रोफेशनल मदद मिल सके। उच्चतम न्यायालय ने कोचिंग सेंटरों को निर्देश दिया कि वो छात्रों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन या पब्लिक शेमिंग के आधार पर बैच में बांटने से बचें क्योंकि इससे छात्रों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
सुनवाई के दौरान इस मामले की एमिकस क्यूरी अपर्णा भट्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय की सहायता लेने का सुझाव दिया था, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाने का आदेश दिया था। इसके पहले 6 मई को न्यायालय ने आईआईटी खरगपुर और कोटा में एक कोचिंग सेंटर में छात्रों की खुदकुशी की दो हालिया घटनाओं पर स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था। 24 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व जज जस्टिस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स के गठन का आदेश दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने 23 मई को कोटा में छात्रों की आत्महत्या पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई थी। न्यायालय ने राजस्थान सरकार से पूछा था कि छात्र कोटा में ही आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा था कि अब तक इस साल कोटा में 14 आत्महत्या की खबरें आ चुकी हैं। न्यायालय ने राजस्थान सरकार से पूछा था कि आप राज्य सरकार के रुप में क्या कर रहे हैं। क्या आपने एक राज्य की अवधारणा छोड़ तो नहीं दी है। आपने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की। आप उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन नहीं कर रहे हैं। तब राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा था कि इस मामले में एसआईटी का गठन किया जा चुका है, जो खुदकुशी के इन मामलों की पड़ताल करेगी।