मतदाता पुनरीक्षण प्रजातंत्र के खिलाफ है: प्रियंका चतुर्वेदी
मुंबई । शिवसेना (यूबीटी) के नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने गुरुवार को बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को प्रजातंत्र के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को भी हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन अब स्थिति ऐसी हो चुकी है कि ये लोग सुप्रीम कोर्ट की भी बात मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने खुद कहा था कि मतदाता पुनरीक्षण के दौरान चुनाव आयोग की ओर से जिन दस्तावेजों की मांग की गई है, वो सभी मतदाता के पास कहां से आएंगे? उन्होंने कहा, “मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया विपक्ष को दबाने के लिए संचालित की जा रही है, क्योंकि सत्तापक्ष को इस बात का डर है कि कहीं विपक्ष के लिए आने वाले दिनों में राजनीतिक स्थिति अनुकूल नहीं हो जाए, इसलिए वो इस तरह की प्रक्रिया को संचालित कर रहे हैं। सरकार की ओर से बेशक दावा किया जाए कि मतदान पुनरीक्षण की प्रक्रिया फर्जी वोटर्स को चिन्हित करने के लिए हो, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
इस प्रक्रिया के तहत फर्जी मतदाताओं को चिन्हित करने की आड़ में लोकतंत्र के सिद्धांतों को ताक पर रखने की तैयारी की जा रही है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश सरकार की तरफ से की गई थी। वे चाहते थे कि विपक्षी खेमा अपने पंख न फैला पाए, और अफसोस, ये लोग ऐसा करने में सफल भी रहे। मैं यह बात पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रही हूं।”
इसके अलावा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक स्थिति को अपने अनुकूल करने के लिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार अब मतदाता पुनरीक्षण लेकर आई है।
राहुल गांधी के उठाए सवालों का समर्थन करते हुए चतुर्वेदी ने कहा, “झारखंड में भी यही हथकंडा अपनाने की कोशिश की थी। भाजपा ने तो यहां तक कह दिया था कि झारखंड में सभी बांग्लादेशी हैं। जब कभी-भी भाजपा को यह लगता है कि आगामी दिनों में उनके लिए राजनीतिक स्थिति प्रतिकूल हो सकती है, तो यह इस तरह की प्रक्रिया का सहारा लेकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, एक स्वस्थ लोकतंत्र में इस तरह की प्रक्रिया को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।”
वहीं, उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि जिस तरह से आयोग मतदाता पुनरीक्षण के संबंध में किए गए सवालों से बचने की कोशिश कर रहा है, उससे इसकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है।