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सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करें: धनखड़

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर : उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश विरोधी ताकतों द्वारा संवैधानिक संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करने के प्रयास करने का आराेप लगाते हुये कहा कि सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करनी चाहिये और “मेरे खिलाफ लाया गया नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, उसमें तो जंग लगा हुआ था।”

श्री धनखड़ ने मंगलवार को उप-राष्ट्रपति भवन में ‘महिला पत्रकार वेलफेयर ट्रस्ट’ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “ अक्सर मैंने खुद देखा है कि यह प्रयास एक योजनाबद्ध तरीके से उन ताकतों द्वारा किये जाते हैं, जो इस देश के हितों के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं। उनका उद्देश्य हमारे संवैधानिक संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करना, राष्ट्रपति पद को कलंकित करना है। और सोचिये, राष्ट्रपति कौन हैं? इस देश की पहली आदिवासी महिला जो राष्ट्रपति बनीं हैं। ”

उप-राष्ट्रपति ने अपने खिलाफ़ लाये गये नोटिस पर पहली बार टिप्पणी करते हुये कहा, “ उप-राष्ट्रपति के खिलाफ दिये गये नोटिस को देखिये। उसमें दिये गये छह लिंक को देखिये। आप हैरान हो जायेंगे। चंद्रशेखर जी ने एक बार कहा था, ‘सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी कभी नहीं करें।’ यह नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, वह तो जंग लगा हुआ था। इसमें जल्दबाजी की गयी। जब मैंने इसे पढ़ा तो मैं स्तब्ध रह गया। लेकिन मुझे और अधिक आश्चर्य तब हुआ जब पाया कि आपने इसे नहीं पढ़ा। अगर आप इसे पढ़ते तो कई दिनों तक सो नहीं पाते। ”

श्री धनखड़ ने कहा, “ मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह नोटिस क्यों दिया गया। किसी भी संवैधानिक पद को प्रतिष्ठा, उच्च आदर्शों और संवैधानिकता से पुष्ट किया जाना चाहिये। हम यहां हिसाब बराबर करने के लिये नहीं हैं।”

उन्होंने कहा कि राज्य सभा में पीयूष गोयल ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का मामला उठाया। सभापति के आसन से इसका निपटारा किया गया। उन्होंने कहा, “ अगर इसमें कुछ गलत है, तो मुझे मार्गदर्शन मिलने में खुशी होगी। उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जतायी, लेकिन वे यह पचा नहीं पाये कि सभापति ने ऐसा फैसला कैसे किया।”

श्री धनखड़ ने कहा कि अभिव्यक्ति का अधिकार लोकतंत्र की परिभाषा है। उन्होंने कहा , “यदि अभिव्यक्ति को सीमित, बाधित या दबाव में किया जाये, तो लोकतांत्रिक मूल्य दोषपूर्ण हो जाते हैं। यह लोकतंत्र के विकास के लिये प्रतिकूल है।” उन्होंने संवाद के महत्व पर जोर देते हुये कहा, कि किसी को भी अपनी आवाज का उपयोग करने से पहले दूसरे के दृष्टिकोण को सुनना चाहिये।

संसदीय बहसों की स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुये श्री धनखड़ ने कहा, “ क्या आपने पिछले 10, 20, 30 वर्षों में किसी महान बहस को देखा है? क्या संसद के पटल पर कोई बड़ी उपलब्धि देखी है? हम गलत कारणों से समाचार में हैं। दबाव आपके वर्ग से आना चाहिये। जवाबदेही मीडिया द्वारा लागू की जानी चाहिये, जो लोगों तक पहुंचने का एकमात्र माध्यम है। मीडिया जनता के साथ एक रिश्ता बना सकता है और जनप्रतिनिधियों पर दबाव पैदा कर सकता है।”

उप-राष्ट्रपति ने भारत और विश्व स्तर पर महिला पत्रकारों और एंकरों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “ महिला पत्रकार अद्वितीय दृष्टिकोण लाती हैं, और उनकी संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। यह समय की बात है जब यह क्षेत्र महिलाओं का प्रभुत्व होगा। आपके लिये चुनौतियां ही आपके अवसर हैं। ”

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