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विशेष खनिजों, रसायनों का आपूर्ति स्रोत कुछ देशों में केंद्रित होना जोखिम: गोयल

नयी दिल्ली/ सिडनी, 24 सितंबर : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्रीय आर्थिक समझौते (आईपीईएफ) के सदस्य देशों को दुर्लभ खनिजों, कृषि और चिकित्सा क्षेत्र में उपयोगी रसायनों और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन और विनर्माण के कुछ एक देशों में केंद्रित होने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती के लिए जोखिमों के प्रति सावधान किया है।
श्री गोयल ने इस समझौते के तहत स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था संबंधी समझौतों और आईपीईएफ समग्र समझौते को अगले माह से लागू किए जाने पर सदस्य देशों में बनी सहमति का स्वागत किया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार श्री गोयल ने समृद्धि के लिए आईपीएफ के सदस्य देशों की मंत्रिस्तरीय बैठक में वीडियाे कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में भाग लिया और स्वस्थ विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जताई। बैठक में कुल 14 सदस्य देशों के मंत्री शामिल हुए। आईपीईएफ के समग्र समझौते के अंग के रूप में स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते, निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते और आईपीईएफ पर व्यापक समझौते को अगले माह 11 और 12 अक्टूबर से लागू करने पर सहमति बनी है।
भारत की ओर से इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले दिनों अमेरिका यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए। विज्ञप्ति के अनसुार श्री गोयल ने बैठक में आईपीईएफ समझौतों के तहत आर्थिक सहयोग को और गहरा करने और ठोस लाभ प्रदान करने के महत्वपूर्ण अवसरों पर जोर दिया।
श्री गोयल ने स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, परिवहन, दूरसंचार, उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स सहित क्षेत्रों के लिए विशिष्ट खनिजों का उपयोग की अपरिहार्य का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ऐसे में वैश्विक क्षमताओं या संसाधनों के कुछ देशों के हाथ में सीमित होना मूल्य अस्थिरता और आपूर्ति अनिश्चितता के संकट को बढ़ा सकता है।
उन्होंने इसे देखते हुए आपूर्ति श्रृंखलाओं के समन्वय की कार्ययोजनाओं में इस तरह के जोखिम का समाधान निकालने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री गोयल ने कृषि-रसायनों, फर्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला के लिए संभावित संकटों का उल्लेख करते हुए उनसे निपटने पर ध्यान देने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत लॉजिस्टिक्स और परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार कर रहा है। उन्होंने आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती के लिए कार्यबल विकास पर भी जोर दिया और कहा कि इसमें कौशल अंतराल की पहचान करने, पुनर्कौशल और अपस्किलिंग का समर्थन करने और कार्यबल गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के प्रयास शामिल होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह वाशिंगटन में आयोजित आपूर्ति श्रृंखला परिषद की पहली व्यक्तिगत बैठक में तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों – सेमीकंडक्टर, बैटरी पर ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण खनिज, और रसायन के लिए कार्य योजना टीमों का गठन किया गया था। कोविड 19 के दौरान आपूर्ति मांग में वैश्विक व्यवधानों के अनुभवों को देखते हुए ये कदम इन क्षेत्रों में आपूर्ति/उत्पादन श्रृंखला के ठोस समन्वय के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हैं।
बैठक में आईपीईएफ के मंत्रियों ने आपूर्ति श्रृंखला समझौते को क्रियान्वित करने, आपूर्ति श्रृंखला को अधिक प्रतिस्पर्धी और मजबूत बनाने के लिए सहयोग के विस्तार, श्रृंखला में व्यवधान से निपटने की पहले से तैयार रहने, और आपूर्ति श्रृंखला में श्रमिकों के उपयोग को बढ़ावा देने और श्रम अधिकारों का सम्मान करने और इस दिशा में प्रगति की समीक्षा की और उसकी सराहना की।
मंत्रियों ने आईपीईएफ मंत्रियों ने आपूर्ति श्रृंखला संबंधी तीन निकायों – आपूर्ति श्रृंखला परिषद (परिषद), संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क (नेटवर्क), और श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड (एलआरएबी) के अब तक के काम में प्रगति के आधार पर आगामी महीनों के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार की है। गत जुलाई में हुए चुनाव में अमेरिका को आपूर्ति श्रृंखला परिषद का अध्यक्ष तथा भारत को उपाध्यक्ष चुना गया था। इसी तरत संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क का अध्यक्ष दक्षिण कोरिया और उपाध्यक्ष जापान है। श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष अमेरिका तथा उपाध्यक्ष फिजी है। राज्य अमेरिका अध्यक्ष और फिजी एलआरएबी के उपाध्यक्ष चुने गए।
आईपीईएफ मंत्रियों ने संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क के तहत संभावित आपातकालीन स्थितियों के कृत्रिम वातावरण में परीक्षण पर भी विचार किया ताकि भागीदारों को अनुकूलित प्रणाली बनाने में सहायता मिल सके।
आईपीईएफ के अंतर्गत स्वच्छ अर्थव्यवस्था संबंधी समझौते का उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा और संक्रमण, जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता बढ़ाने और अनुकूलन, जीएचजी उत्सर्जन शमन की दिशा में आईपीईएफ भागीदारों के प्रयासों में तेजी लाना, जीवाश्म ईंधन ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के अभिनव तरीके विकसित करना, तकनीकी सहयोग, कार्यबल विकास, क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और स्वच्छ ऊर्जा तथा जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास, पहुंच और तैनाती को सुविधाजनक बनाने के लिए सहयोग करना है। बैठक में आईपीईएफ भागीदारों ने इस क्षेत्र में आठ सहयोग कार्य कार्यक्रमों (सीडब्ल्यूपी) पर हुई प्रगति का स्वागत किया।
बैठक में निष्पक्ष अर्थव्यवस्था के लिए भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को मजबूत करने और कर प्रशासन की दक्षता में , पारदर्शिता और विश्वनीयता में वृद्धि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई।
श्री गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते के उद्येश्यों को पूरा करने में एक दूसरे के अनुभवों से सीखना, आपस में जानकारी साझा करना और क्षमता निर्माण की पहल महत्वपूर्ण रहेगी।
आईपीईएफ की शुरुआत जापान के टोक्यो में 23 मई 2022 को की गई थी, जिसमें 14 देश – ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान,दक्षिण कोरिया , मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं। इस समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव और सहयोग को मजबूत करना है। यह समझौता आपूर्ति श्रृंखला के सशक्तीकरण , स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष (भ्रष्टाचार मुक्त) अर्थव्यवस्था से संबंधित चार स्तंभों के आसपास संरचित है। आपूर्ति श्रृंखला पर समझौते पर नवंबर 2023 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह फरवरी 2024 से लागू है।

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