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अमेरिका भारत का सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भागीदार: पीयूष गोयल

वाशिंगटन 04 अक्टूबर : वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका को भारत का सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भागीदार बताते हुए कहा है कि दोनों देशों के बीच के बीच व्यापार के क्षेत्र में ऐसे कोई मुद्दे बाकी नहीं रह गये हैं ,जिनका समाधान न किया जा सके ।

उन्होंने कहा “ अब हमें विवाद के मुद्दे पर कोई विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं पड़ती , बल्कि अब हम देख रहे हैं कि हम कैसे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए पहले से, पहले से तैयारी कर सके। ”

श्री गोयल वाशिंगटन में अपने डेढ़ दिन के प्रवास में विभिन्न द्विपक्षीय व्यापार बैठकों समाप्ति के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। संवाददाता सम्मेलन का आयोजन वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने किया था जिसमें राजदूत विनय क्वात्रा तथा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में संदीप सचिव संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल भी उपस्थित थे।

श्री गोयल वाशिंगटन में अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि और व्यापार मंत्री के साथ क्रमशः व्यापार नीति और पारस्परिक व्यापारिक संबंध हो पर चर्चा के साथ साथ अमेरिका भारत सीईओ फोरम की बैठक की संयुक्त अध्यक्षता की और व्यापार और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों तथा निवेशकों से अलग-अलग बैठकर भी की।

भारत अमेरिका व्यापारिक संबंध में अनिश्चित की धारणा के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि आज दोनों देशों के संबंध बहुत अच्छे दौड़ में हैं ,विश्व व्यापार मंच के फोरम पर भी हमारे सारे विवाद समाप्त हो चुके हैं ,अब हम और अच्छे विस्तृत संबंध की ओर देख रहे हैं न कि समस्याओं की ओर।

भारत की कुछ वस्तुओं को अमेरिका में विशेष वरीयता देने के मुद्दे और और एक दूसरे के यहां अस्थाई तौर पर काम के लिए जाने वाले नागरिकों द्वारा सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अंशदान के मुद्दे से जुड़े एक सवाल पर श्री गोयल ने कहा “ इस समय अमेरिका में चुनाव का माहौल है और यह समय अमेरिका के साथ वार्ता में ऐसे मुद्दों को विषय बनाने का उपयुक्त समय नहीं है। इस समय ये मुद्दे अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि या मेरे समक्ष नहीं हैं ।चुनाव के बाद इस पर बात हो सकती है। ”

लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह खेदजनक है कि सामाजिक सुरक्षा अंशदान के मुद्दे पर समझौता जब जरूरी था उस समय सरकार ने कोई गंभीर कदम नहीं उठाया । इसे कुछ दशक पहले पहले हल करने के कदम उठाए जाते तो बेहतर होता क्योंकि उसे समय इसके दायरे में आने वालों की संख्या कम थी आज दुनिया में कहीं भी किसी भी सरकार के लिए ऐसे मुद्दों का समाधान चुनौती है।

पश्चिम एशिया की स्थिति से तेल की कीमतों में छल और भारत के लिए आपूर्ति संकट की संभावना के बारे में उन्होंने कहा “ फिलहाल कोई बाजार में कोई बड़ा उछाल नहीं है और मुझे नहीं लगता है कि हम ईरान पर तेल के लिए बहुत ज्यादा निर्भर है हम इस समय ईरान से तेल नहीं खरीद रहे हैं इसलिए इसका हमारे ऊपर प्रभाव नहीं पड़ेगा। ”

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक बयान में भारत के खिलाफ 20प्रतिशत की दर से दंडात्मक कर लगाने की धमकी के बारे में पूछे गए एक सवाल पर श्री गोयल ने कहा “ मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत अमेरिका को अपना सबसे अच्छा और विश्वसनीय व्यापार भागीदार मानता है ।माल, सेवा और प्रौद्योगिकी व्यापार तथा निवेश , सभी क्षेत्रों में हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं और हमें और हम इसे बड़ा महत्व और मान देते हैं। मुझे नहीं लगता कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी की किसी बात का हमारे व्यावसायिक संबंधों पर असर पड़ने वाला है।”

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ओबामा प्रशासन , ट्रम्प की सरकार और बिडेन की सरकार ,इन सबके साथ बहुत अच्छी तरह से मिल कर काम किया है और हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारे संबंध बेहतर और बेहतर ही होंगे।

भारत में कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क ऊंचा रखे जाने पर अमेरिकी शिकायत के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर श्री गोयल ने कहा कि हर देश अपने उद्योग की स्थिति तथा व्यापार में अपने भागीदार देशों की नीति और नीयत देखकर अपने निर्णय करता है। उन्होंने अमेरिका में पीनट बटर ( मूंगफली के मक्खन) पर लागू उच्च आयात शुल्क का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका और अन्य देश भी समय-समय पर अपनी किसी न किसी वस्तु पर बचाव के लिए आयात शुल्क ऊंचा रखता है। अमेरिका पीनट्स बटर पर प्रशुल्क की दर 120 प्रतिशत रखे हुए है ताकि वह अपने मूंगफली किसानों की रक्षा कर सके।

उन्होंने कहा कि हमें विश्व व्यापार संगठन के समझौते के तहत सदस्य देशों को व्यापार मार्ग देने के मामले में सर्वोच्च वरीयता प्राप्त देश ( एमएफएन ) की व्यवस्था का पालन करते हुए भी यह देखना होता है कि कोई व्यापारिक भागीदार देश किस तरह की चीज पर किस तरह का शुल्क लगा रहा हैं , किस तरह से वह अपने माल के निर्यात का प्रयास करता है और किस तरह की कीमत रखता हैं ।

उन्होंने कहा कि एमएफएन व्यवस्था की चुनौतियां से निपटने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि हम मुक्त व्यापार समझौता भी करें । उन्होंने इसी संबंध में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ भारत के मुक्त व्यापार और आर्थिक सहयोग समझौतों का जिक्र किया इसका लाभ सभी संबद्ध पक्षों को हो रहा है।

श्री गोयल ने कहा कि आज स्थिति यह है कि यदि हम अमेरिका को लाभ देने के लिए आयात शुल्क कम भी करते हैं तो उसका फायदा शायद कोई दूसरा देश उठा ले क्योंकि अमेरिका में उत्पादन की लागत ऊंची है और वहां की वस्तु महंगी पड़ती है। इस संदर्भ में श्री गोयल ने कहा भारत में विनिर्माण कार्य कर रही अमेरिकी कंपनियां नहीं चाहती हैं कि अमेरिका से किसी प्रतिस्पर्धी वस्तु पर शुल्क कम हो क्योंकि उन्होंने भारत में विनिर्माण शुरू किया है। और यदि शुल्क कम होता है तो इसका असर भारत में उनके कारोबार पर पड़ सकता है क्योंकि दूसरे देश इसका फायदा उठा सकते हैं।

भारत के जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा सरकार के प्रयासों के बावजूद न बढ़ पाने के सवाल पर श्री गोयल ने कहा “ हमें यह सोचना चाहिए कि मोदी सरकार ने जिस समय सत्ता संभाली उस समय भारत को पांच दुर्बल बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था। बीच में कोविड संकट भी आया , उससे पहले भ्रष्टाचार के तमाम मामले सामने आ रहे थे, समस्यायें थी ,इसलिए भारत को विश्व में विनिर्माण का केंद्र बनाना कोई आसान काम नहीं था। पर उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि तेज हुई है ,मुद्रास्फीति कम है हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर से ऊपर है जो विश्व में चौथा सबसे बड़ा स्टॉक है ।हमारे बाजार की स्थिति भविष्य की दिशा दर्शाती है । पिछले 10 वर्षों में हमारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का वार्षिक स्तर पहले के 10 वर्षों की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा हुआ है। संकट के समय में भी हमने भारतीय अर्थव्यवस्था में निर्माण क्षेत्र के अनुपात को 17प्रतिशत के आसपास बनाए रखा है यह कोई कम बात नहीं है ।

वाणिज्य मंत्री ने कहा कि हमने तमाम ऐसे कदम उठाए हैं जिससे भारत में कारोबार करना और विनिर्माण गतिविधियों के लिए आसानी हुई है । हमें पूरा विश्वास है कि अगले 10 साल हमारे विनिर्माण क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों पर पूछे गए एक सवाल पर श्री गोयल ने कहा “ आप यदि याद करें तो प्रधानमंत्री ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने का हर प्रयास किया 2014, 15 ,16 तक प्रधानमंत्री ने बड़े खुले मन से पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के कदम उठाये लेकिन यदि पाकिस्तान को हमारे खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को चलना है तो स्वाभाविक है कि हमें उसका जमकर मुकाबला करना पड़ेगा, पत्थर का जवाब पत्थर से देना ना पड़ेगा, ईंट का जवाब ईंट से देना होगा , जो किया गया।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद नहीं किया है ,यह पाकिस्तान है जिसने हमारे साथ व्यापार बंद किया है इसलिए गेंद उनके पहले में है। भारत एक ऐसा देश है जिसने कभी भी किसी के साथ रिश्ते बिगड़ने का कोई कदम नहीं उठाया है ।हम हमेशा बातचीत में विश्वास रखते हैं। हम सब समस्याओं के समाधान को खोजने में विश्वास करते हैं।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एप्पल का भारत में आना कंपनियों का भारत के प्रति आकर्षण का एक जीता जागता उदाहरण है। वैल्यू चेन का निर्माण ए प्रक्रिया है इसमें कुछ चीजें पहले आती हैं ,इसके बाद एक परिस्थिति बनती है और बाकी चीजें आना शुरू होती हैं।

श्री गोयल ने भारत में युवा आबादी लोकतंत्र और कानून के राज , पारदर्शिता और निर्णायक नेतृत्व को दुनिया भर के उद्यमियों के लिए एक विशेष आकर्षण बतायाे । उन्हें इसी दौरे में एक लॉजिस्टिक्स कंपनी के सीईओ के साथ बातचीत में भारत के विनिर्माण क्षेत्र के बारे में उसके आकलन का जिक्र करते हुए कहा कि उसका कहना है कि भारत का हिस्सा वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में अगले 5 वर्षों में दोगुना हो जाएगा।

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