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पिछले 10 वर्षों में भारत के युवाओं में जोखिम लेने की संस्कृति बढ़ी : प्रधानमंत्री

  • अब आतंकवादी अपने घरों में भी असुरक्षित महसूस करते हैं : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के युवाओं में तेजी से बढ़ रही स्टार्ट-अप संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार की नवाचार और उद्यमशीलता की नीतियों की बदौलत युवाओं में जोखिम लेने की संस्कृति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पहले एक कंपनी शुरू करना भी जोखिम माना जाता था, लेकिन आज भारत में 1.25 लाख से अधिक पंजीकृत स्टार्ट-अप हैं।

प्रधानमंत्री ने शनिवार को नई दिल्ली में हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में कहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने जोखिम लेने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों को हौसला नहीं दिया। इसके चलते कई पीढ़ियां एक कदम आगे और एक कदम पीछे खींचने में ही बीत गईं। उन्होंने कहा, “बीते 10 सालों में देश में जो परिवर्तन आए हैं, उसने भारत के नागरिकों में जोखिम लेने की संस्कृति को नई ऊर्जा दी है। आज हमारा युवा हर क्षेत्र में जोखिम लेने वाला बनकर उभर रहा है। कभी एक कंपनी शुरू करना जोखिम माना जाता था। 10 साल पहले तक, मुश्किल से किसी स्टार्टअप का नाम सुनते थे, आज देश में रजिस्टर स्टार्टअप की संख्या 1.25 लाख से ज्यादा हो गई है।”

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित प्रथम बोडोलैंड महोत्सव को व्यापक मीडिया कवरेज नहीं मिलने पर चिंता जताते हुए कहा, “अभी कल ही मैं बोडोक्षेत्र के लोगों के साथ एक शानदार कार्यक्रम में मौजूद था और मैं हैरान हूं कि दिल्ली की मीडिया ने इसे कवर ही नहीं किया। उन्हें अंदाजा ही नहीं है कि पांच दशक बाद बम, बंदूक और पिस्तौल छोड़ कर दिल्ली की छाती पर बोडो नौजवान बोडो संस्कृति महोत्सव मना रहे हैं।” उन्होंने इसे इतिहास की बहुत बड़ी घटना बताया और कहा कि बोडो शांति समझौते के कारण इन लोगों का जीवन बदल गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मौके पर प्रदर्शनी में उनकी नजर 26/11 के मुंबई हमले की रिपोर्ट पर भी गई। उन्होंने कहा, “ये वो समय था, जब पड़ोसी देश की आतंकवादी हरकतों की वजह से हमारे लोग अपने घर और शहरों में भी असुरक्षित रहते थे, लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। अब वहां के आतंकवादी ही अपने घर में सुरक्षित नहीं हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के आम नागरिक की दृढ़ता और बुद्धिमत्ता ने औपनिवेशिक संदेहों पर काबू पाने से लेकर आपातकाल, अस्थिरता और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों को हराने तक लगातार देश के भाग्य को आकार दिया है। मोदी ने कहा, “अंग्रेज जब भारत छोड़कर जा रहे थे, तो ये कहा गया कि ये देश बिखर जाएगा, टूट जाएगा। जब इमरजेंसी लगी तो कुछ लोगों ने ये मान लिया था कि अब तो इमरजेंसी हमेशा ही लगी रहेगी। कुछ लोगों ने, कुछ संस्थानों ने इमरजेंसी थोपने वालों की ही शरण ले ली थी, लेकिन तब भी भारत का नागरिक उठ खड़ा हुआ।” उन्होंने कहा कि जब कोरोना का मुश्किल समय आया तो दुनिया को लगता था कि भारत उन पर बोझ बन जाएगा। लेकिन भारत के नागरिकों ने कोराना के खिलाफ एक मजबूत लडाई लड़कर दिखाई।

प्रधानमंत्री ने 90 के दशक में 10 साल में पांच चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय देश में कितनी अस्थिरता थी। जानकारों ने अखबारों में भविष्यवाणी कर दी थी कि अब ऐसे ही चलने वाला है लेकिन भारत के नागरिकों ने ऐसे जानकारों को गलत सिद्ध किया। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज चारों तरफ अस्थिरता का माहौल दिखता है वहीं भारत में लोगों ने तीसरी बार हमारी सरकार को चुना है।

वोट बैंक की राजनीति को लेकर पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले सरकार केवल अगला चुनाव जीतने के लिए चलाई जाती थी। इस प्रकार की राजनीति ने देश में असंतुलन और असामानता का दयारा बढ़ा दिया। इससे जनता का सरकारों पर से विश्वास टूट गया। उन्होंने कहा कि हम इस विश्वास को वापस लेकर आये हैं। हमने सरकार का उद्देश्य तय किया है। हम, जनता की प्रगति, जनता द्वारा प्रगति, जनता के लिए प्रगति के मंत्र को लेकर चल रहे हैं। हमारा उद्देश्य नया भारत बनाने और भारत को विकसित बनाने का है। यह वोट बैंक की राजनीति से हजारों मील दूर है।

मोदी ने कहा कि आज भारत का समाज अभूतपूर्व आकांक्षा से भरा हुआ है। इन आकांक्षाओं को हमने अपनी नीतियों का बड़ा आधार बनाया है। हमारी सरकार ने देशवासियों को बहुत अनोखा संयोजन दिया है। ये निवेश से रोजगार, विकास से गरिमा का कॉम्बो है। उन्होंने कहा कि हम विकास का ऐसा मॉडल लेकर चल रहे हैं, जिसमें निवेश हो, निवेश से रोजगार जनरेट हो, विकास हो और वो विकास भारत के नागरिकों की गरिमा सुनिश्चित करे।

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