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‘कुदुम्बश्री’ दुनिया का सबसे बड़ा महिला स्वयं सहायता नेटवर्क है: मुर्मू

तिरुवनंतपुरम 17 मार्च : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि ‘कुदुम्बश्री’ दुनिया के सबसे बड़े महिला स्वयं सहायता नेटवर्क में से एक बन गया है।

श्रीमती मुर्मू ने आज यहां ‘कुदुम्बश्री’ के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा, “यह भारत-रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की दृष्टि और संवेदनशीलता को कृतज्ञतापूर्वक याद करने का अवसर है, जिन्होंने वर्ष 1998 में कुदुम्बश्री का शुभारंभ किया था, जब वह प्रधानमंत्री थे।” राष्ट्रपति के सम्मान में यहां एक रिसेप्शन भी आयोजित किया गया।

उन्होंने कहा,“मुझे केरल के अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के निवासियों के विकास के लिए यहां शुरू किए गए कार्यक्रम ‘उन्नति’ से जुड़कर खुशी हो रही है।” उन्होंने कहा कि ‘उन्नति’ या ‘केरल एम्पावरमेंट सोसाइटी’ एससी और एसटी समुदायों के युवाओं के बीच रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करना चाहती है।

उन्होंने कहा, “मैं कामना करती हूं कि यह पहल समावेशी विकास के प्रयासों में सफल हो। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में उपयोगी पहलों के साथ राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण व विकास को उच्च प्राथमिकता दी जाती है।”

उन्होंने कहा कि केरल के सामाजिक ताने-बाने के हर खंड में इतिहास के विभिन्न कालखंडों में महिला सशक्तीकरण के आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि उनियारचा ने मार्शल आर्ट के माध्यम से स्वयं सहायता का एक उत्तेजक उदाहरण स्थापित किया था। वह केरल की लोककथाओं में अमर हैं।

उन्होंने कहा,“नांगेली ने अपने व्यक्तिगत कपड़ों सहित दलित महिलाओं पर लगाए गए अनुचित व्यवहारों के विरोध में अपने जीवन का बलिदान दिया। वह सामाजिक सम्मान और न्याय के लिए लड़ने वालों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रही हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा,“हमारी संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं। उनमें से तीन अकेले केरल से थीं। अम्मू स्वामीनाथन, दक्षिणायनी वेलायुधन और एनी मस्कारेने अपने समय से बहुत आगे थीं। दक्षिणायनी वेलायुधन संविधान सभा के लिए निर्वाचित होने वाली एकमात्र दलित महिला थीं।”

उन्होंने कहा,“भारत में उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला न्यायमूर्ति अन्ना चांडी थीं। वह 1956 में केरल के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनीं। डेम एलिजाबेथ लेन के 1965 में ब्रिटेन में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनने से करीब नौ साल पहले।”

राष्ट्रपति ने कहा,“न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश बनकर कानूनी इतिहास रचा। कार्तियानी अम्मा 2018 में 96 वर्ष की आयु में अक्षर-लक्ष्म योजना के तहत पहली रैंक प्राप्त करके एक राष्ट्रीय आइकन बन गई हैं।”

उन्होंने कहा,“अम्मा ने अपने संदेश से सभी को प्रेरित किया कि सीखने में कभी देर नहीं होती। मुझे सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नानचियम्मा को प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।”

एक आदिवासी महिला के रूप में, नानचियम्मा ने देश की हर एक महिला को प्रेरित किया है, विशेष रूप से हमारे समाज के वंचित वर्गों से। मैं इस वर्ष की केरल की गणतंत्र दिवस की झांकी देखकर बहुत प्रभावित हुई, जिसमें ‘नारी-शक्ति’ प्रदर्शित की गई थी।

‘पय्योली एक्सप्रेस’ पी.टी. उषा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उषा बाद की लड़कियों के लिए खेलों को करियर के रूप में अपनाने और भारत का गौरव बढ़ाने की प्रेरणा रही हैं।

उन्होंने कहा कि केरल का लिंगानुपात देश में अब तक सबसे अच्छा है। केरल में महिला साक्षरता सहित उच्चतम साक्षरता दर भी है।

उन्होंने कहा कि मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और शिशु मृत्यु दर को रोकने के मानकों पर केरल का प्रदर्शन देश में सबसे अच्छा है। उन्होंने कहा कि केरल में महिलाएं अधिक शिक्षित और सशक्त हैं, जो कई मानव विकास सूचकांकों पर केरल के बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय भाषाएं ज्ञान सृजन के लिए अधिक सहायक माध्यम हो सकती हैं, उन्होंने मलयालम में अनुवादित तकनीकी, इंजीनियरिंग और डिप्लोमा पुस्तकों के पहले बैच के विमोचन की सराहना की।

उन्होंने कहा, “भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा के लिए यह पुनर्अभिविन्यास एक स्वागत योग्य बदलाव है। मुझे विश्वास है कि निकट भविष्य में पेशेवर और व्यावसायिक शिक्षा के लिए मूल पुस्तकें मलयालम में लिखी जाएंगी।”

राष्ट्रपति ने कहा, “यूनेस्को के ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग में त्रिशूर और नीलांबुर तीन भारतीय शहरों में से दो हैं। यह समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए केरल की सिद्ध प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए है।”

संजय राम

वार्ता

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