वक्फ एक्ट में होगा संशोधन !
- यूपीए ने बढ़ाई थी ताकत, अब एनडीए लगाएगा लगाम
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने की तैयार में है. सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी. विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का भी प्रस्ताव है. बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का भी प्रस्ताव है. निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव है. इन संशोधनों के पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. सूत्रों के अनुसार, इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है,
सूत्रों ने कहा, प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए सभी दावों को अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा. वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्तियों के लिए एक अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया प्रस्तावित है. सूत्रों के मुताबिक, इन संशोधनों का बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने की संभावना है. वक्फ बोर्ड लगभग 940,000 एकड़ में फैली लगभग 870,000 संपत्तियों की देखरेख करता है. साल 2013 में, यूपीए सरकार ने मूल चक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन के माध्यम से वक्फ बोर्ड के अधिकार को मजबूत किया था.
यह अधिनियम औकाफ को रेगुलेट करने के लिए स्थापित किया गया था. एक वकीफ द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में नामित संपत्ति को औकाफ कहते हैं. वकीफ उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धमार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करता है. प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके समावेशिता को बढ़ाना है.
बता दें कि वक्फ बोर्ड की पावर को 1995 में नरसिम्हा राव की सरकार में बढ़ाया गया था. उस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए थे. सबसे पहली बार वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 में संसद से पारित किया गया. इसके बाद 1995 में इसके अंदर बदलाव किए गए, 2013 में इसमें फिर संशोधन किए गए, जिसके बाद वक्फ को असीमित शक्ति और पूर्ण स्वायत्तता मिल गई।
- देश में एक सेंट्रल और 32 स्टेट वक्फ बोर्ड हैं
देश में एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड और 32 स्टेट बोर्ड हैं. केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है. अब तक की सरकारों में वक्फ बोर्ड को अनुदान दिया जाता रहा है. मोदी सरकार में भी वक्फ को लेकर उदारता दिखाई गई. सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने नियम बनाया कि अगर वक्फ की जमीन पर स्कूल, अस्पताल आदि बनते हैं, तो पूरा खर्च सरकार का होगा. यह तब हुआ जब मुख्तार अब्बास नकवी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे. बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड हैं. वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां है, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है.
- वक्फ बोर्ड क्या है
वक्फ का मतलब होता है “अल्लाह के नाम”, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है. वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है. वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ. वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था. जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था. 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था. सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की. 1995 में, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया।
साभार : शुभम संदेश