2024 में भाजपा-आजसू गठबंधन झामुमो-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन पर भारी होगा ?
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झारखंड की रामगढ़ विधानसभा सीट का परिणाम गठबंधन की राजनीति के पलड़े को ऐसे दर्शाता है।
जहां एक तरफ झामुमो-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन है वहीं 2019 में भाजपा से अलग हुए आजसू का फिर भाजपा गठबंधन में शामिल होना 2024 के चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा।
2014 में आजसू-भाजपा गठबंधन के तहत आजसू ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 5 सीटें हासिल हुई थी, वहीं बीजेपी ने 72 सीटों पर चुनाव लड़कर 37 सीटें हासिल की थी। 2019 में गठबंधन टूटने पर भाजपा ने 79 सीटों पर दावं खेला और उसे सिर्फ 25 सीटें हासिल हुई तथा आजसू ने 53 सीटों पर दांव खेला और उन्हें 2 सीटें हासिल हुई थी।
आजसू-भाजपा गठबंधन का टूटने से भाजपा-आजसू दोनों को नुकसान हुआ और गठबंधन 2019 में झारखंड की सत्ता से बाहर हो गया।
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव का संकेत है कि 2024 में भाजपा-आजसू गठबंधन यदि मजबूती से हुआ तो पूर्वी और दक्षिणी छोटानागपुर की कई सीटों पर झामुमो-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन पर बहुत भारी पड़ेगा।
तर्क है कि भाजपा-आजूस का गठबंधन कई क्षेत्रों में जातीय समीकरण के आधार पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करता है जिसका सीधा असर सीटों पर पड़ता है।
भाजपा को 2019 के चुनाव में आदिवासी सीटों का भी भारी नुकसान सहना पड़ा था हाल में हुए मांडर उपचुनाव में सरना आदिवासियों का भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण 2024 के चुनाव में पुराने रांची जिले वर्तमान में रांची, लोहरदगा, गुमला और खूंटी जिले के अपनी परम्परागत आदिवासी सीटों पर पुनः भाजपा की जीत का संकेत देता है।
राजनीतिक क्षेत्र में विश्लेषण कर कयास लगाये जा रहे हैं कि भाजपा-आजसू गठबंधन पुनः 2024 में झारखंड की सत्ता में काबिज हो सकता है!
कांग्रेस पार्टी को भी झारखंड में भारी नुकसान होने की संभावना है कारण कि झारखंड में उच्च पदों पर बैठे नेताओं का ना तो कोई जनाधार है ना ही वो जातीय समीकरण में कहीं दूर-दूर तक नजर आते हैं, इसलिए संगठन की दृष्टि से भी कमजोर है। इन सब का लाभ आजसू-भाजपा गठबंधन को आने वाले समय में मिलेगा।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि आने वाले समय में झामुमो-कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन विरोधी पक्ष की भूमिका दोहरायेगा।