पूंजी बाजार की सत्यनिष्ठा और विकास कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध : सेबी
मुंबई 11 अगस्त : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से मचे घमासान के बीच निवेशकों को शांत रहने और ऐसी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले सावधानी बरतने की अपील करते हुए आज स्पष्ट किया कि सेबी पूंजी बाजार की सत्यनिष्ठा और इसके व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सेबी ने रविवार देर शाम बयान जारी कर कहा कि निवेशकों को शांत रहना चाहिए और ऐसी रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया करने से पहले उचित सावधानी बरतनी चाहिए। निवेशक रिपोर्ट में दिए गए अस्वीकरण पर भी ध्यान दे सकते हैं जिसमें कहा गया है कि पाठकों को यह मान लेना चाहिए कि हिंडनबर्ग रिसर्च के पास रिपोर्ट में शामिल सिक्योरिटीज में शॉर्ट पोजीशन हो सकती है। सेबी ने पिछले कुछ वर्षों में एक मजबूत विनियामक ढांचा तैयार किया है जो न केवल सर्वोत्तम वैश्विक ढांचे के अनुरूप है बल्कि निवेशकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। सेबी भारत के पूंजी बाजारों की सत्यनिष्ठा और इसके व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी दावा किया गया है कि सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इसमें 27 जून 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च को कारण बताओ नोटिस जारी करने की सेबी की कार्रवाई पर सवाल उठाया गया है। इसमें आगे दावा किया गया है कि सेबी ने एक बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह को लाभ पहुंचाने के लिए सेबी (आरईआईटी) विनियम 2014 में बदलाव किए हैं। इन मुद्दों पर उचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सेबी द्वारा विधिवत जांच की गई है।
सेबी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 03 जनवरी, 2024 के अपने आदेश में कहा है कि सेबी ने इस सिलसिले में अडानी समूह में चौबीस में से बाईस जांच पूरी कर ली है। इसके बाद मार्च 2024 में एक और जांच पूरी हो गई वहीं एक शेष जांच पूरी होने के करीब है। इस मामले में चल रही जांच के दौरान जानकारी मांगने के लिए 100 से अधिक समन, लगभग 1100 पत्र और ईमेल जारी किए गए हैं। इसके अलावा घरेलू एवं विदेशी नियामकों और बाहरी एजेंसियों से सहायता मांगने के लिए 100 से अधिक संचार किए गए हैं। साथ ही लगभग 12000 पृष्ठों वाले 300 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई है।
नियामक ने कहा कि रिपोर्ट में 27 जून 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च को कारण बताओ नोटिस जारी करने में सेबी की कार्रवाई पर भी सवाल उठाया गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए संबंधित कारण बताओ नोटिस कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए जारी किया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने खुद को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है। कारण बताओ नोटिस में इसके जारी होने के कारण शामिल हैं। इस मामले में कार्यवाही जारी है और इसे स्थापित प्रक्रिया के अनुसार और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए निपटाया जा रहा है।
सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेबी (आरईआईटी) विनियम 2014 के कार्यान्वयन के साथ-साथ ऐसे विनियमों में बदलाव से एक बड़े बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह को लाभ हुआ है। इस संबंध में यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि नए विनियमन की शुरूआत या मौजूदा विनियमन में संशोधन से जुड़े सभी मामलों की तरह उद्योग, निवेशकों, बिचौलियों, संबंधित सलाहकार समिति और आम जनता से इनपुट और फीडबैक प्राप्त करने के लिए एक मजबूत परामर्श प्रक्रिया लागू है। परामर्श के बाद ही नए विनियमन की शुरूआत या मौजूदा विनियमन में बदलाव का प्रस्ताव सेबी बोर्ड के विचार-विमर्श के लिए रखा जाता है। सेबी बोर्ड की मंजूरी के बाद विनियमन अधिसूचित किए जाते हैं। पारदर्शिता के उपाय के रूप में, बोर्ड की बैठकों के लिए एजेंडा पेपर और बोर्ड की चर्चाओं के परिणाम भी सेबी की वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाते हैं। इसलिए, यह दावा कि ऐसे विनियमन, विनियमन में बदलाव या आरईआईटी से संबंधित परिपत्र एक बड़े बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह के पक्ष में थे, अनुचित हैं।
नियामक ने बयान में स्पष्ट किया कि सेबी ने प्रतिभूति बाजार के विकास के लिए अलग-अलग समयों पर बाजारों के लोकतंत्रीकरण, घरेलू बचत के वित्तीयकरण और पूंजी बाजारों के माध्यम से पूंजी निर्माण के लिए अन्य परिसंपत्ति वर्गों के बीच आरईआईटी, एसएम आरईआईटी, इनविट और म्यूनिसिपल बॉन्ड की क्षमता को रेखांकित किया है। इन पर नवीनतम सेबी वार्षिक रिपोर्ट में भी प्रकाश डाला गया है, जो अध्यक्ष के वक्तव्य का हिस्सा है। इसलिए, यह दावा कि सेबी द्वारा अन्य परिसंपत्ति वर्गों के बीच आरईआईटी और एसएम आरईआईटी को बढ़ावा देना केवल एक बड़े बहुराष्ट्रीय वित्तीय समूह को लाभ पहुंचाने के लिए था, अनुचित है।
सेबी ने कहा कि हितों के टकराव से संबंधित मामलों का समाधान करने के लिए सेबी के पास पर्याप्त तंत्र हैं, जिसमें प्रकटीकरण ढांचा और अलग होने का प्रावधान शामिल है। इसलिए, प्रतिभूतियों की होल्डिंग और उनके हस्तांतरण के संदर्भ में आवश्यक प्रासंगिक खुलासे समय-समय पर अध्यक्ष द्वारा किए गए हैं। अध्यक्ष ने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों में भी खुद को अलग कर लिया है।