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बंगाल भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में दिलीप घोष आगे

कोलकाता। पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष पद के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के नाम को लेकर सबसे अधिक चर्चा है। घोष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पहली पसंद बताये जा रहे हैं। खबर है कि संघ ने पार्टी नेतृत्त्व को दिलीप के नाम की सिफारिश भेजी है। प्रदेश भाजपा में भी दिलीप घोष को फिर से बंगाल भाजपा का अध्यक्ष बनाने की चर्चा जोरों पर है।

गुरुवार को, विधानसभा में दिलीप घोष के जन्मदिन पर भाजपा नेताओं ने उनका अभिनंदन किया। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दिलीप को गर्मजोशी से बधाई दी और सभी विधायकों के साथ मिलकर मिठाई खिलाई। इस नई तस्वीर से भाजपा में नए समीकरण बनने की अटकलें लगाई जा रही थीं। शनिवार को सूत्रों ने बताया कि आरएसएस ने दिलीप घोष का नाम दिल्ली के केंद्रीय नेताओं के पास अगला प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भेजा है। अगर कोई अप्रत्याशित घटना नहीं होती है, तो मेदिनीपुर के पूर्व सांसद दिलीप घोष इस पद के पहले उम्मीदवार हैं। दूसरे स्थान पर राज्यसभा सांसद और पार्टी के प्रवक्ता शमीक भट्टाचार्य का नाम है।

शुक्रवार को विधानसभा में भाजपा के संसदीय दल के कक्ष में राज्य भाजपा के महासचिव (संगठन) अमिताभ चक्रवर्ती ने विधायकों से मुलाकात की। आमतौर पर पार्टी के बैठकें किसी अन्य स्थान पर होती हैं, लेकिन इस बार अमिताभ स्वयं विधानसभा में आकर विधायकों से मिले।

केंद्र की ओर से, शुभेंदु को सभी को साथ लेकर चलने का संदेश दिया गया है। इस वजह से, दिलीप घोष और अमिताभ चक्रवर्ती के साथ शुभेंदु के संबंधों में सुधार की कोशिश की जा रही है।

भाजपा के भीतर कई मुद्दों पर दिलीप और शुभेंदु के बीच असहमति रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान, शुभेंदु ने दिलीप को मेदिनीपुर से हटाकर दुर्गापुर भेजने का प्रबंध किया था, जिससे दोनों के बीच कड़वाहट पैदा हो गई। एक सूत्र के अनुसार, भाजपा दिलीप को मेदिनीपुर सीट से उपचुनाव में खड़ा करके फिर से विधानसभा में ला सकती है। दिलीप को अब तक का सबसे सफल प्रदेश अध्यक्ष माना जाता है।

दूसरी ओर दावा है कि शुभेंदु अधिकारी केंद्र के नेताओं को ‘मैनेज’ करके राज्य अध्यक्ष का पद पाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस नई रणनीति से पार्टी में एकता दिखाने का प्रयास हो रहा है, क्योंकि बंगाल भाजपा में गुटबाजी से दिल्ली नाराज है। आगामी लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण, शुभेंदु पर दबाव है कि वे सभी को साथ लेकर चलें। इसलिए, दिलीप और अमिताभ के साथ संबंध सुधारने की कोशिश हो रही है। इस राजनीतिक उठापटक और संभावित बदलाव से बंगाल भाजपा में नए समीकरण उभर सकते हैं।

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