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भारत के नवनिर्माण और विश्व में भाईचारा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति अहम: प्रधान

नयी दिल्ली 01 अगस्त : शिक्षा मंत्री धर्मेन्द प्रधान ने आज लोकसभा में कहा कि 34 साल के बाद देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति आयी जो भारत के नवनिर्माण, विश्व में भाईचारा बढ़ाने और वैश्विक समस्याओं का समाधान के लिए अहम है।

श्री प्रधान ने कहा कि शिक्षा अनुदान पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस चर्चा में 44 सदस्यों ने भाग लेकर बहुमूल्य सुझाव रखी है जिस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसा विषय है जिससे देश के सभी परिवारों का संबंध है। भारत जैसे देश में आधार ही शिक्षा है। भारत की अनेक खूबियों में सबसे पहले शिक्षा व्यवस्था आयेगी।

उन्होंने कहा कि शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने की दिशा में हम आगे बढ रहे हैं। उन्होंने 2013-14 में जितना उच्च शिक्षा पर खर्च होता था उसमें 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014-15 में विश्वविद्यालय की संख्या 760 थी जो आज 54 प्रतिशत बढकर 1168 हो गई है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जनजातीय समाज के लिए पीएम जनमन योजना लेकर आये क्योंकि सरकार आदिवासियों की शिक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। इस योजना के तहत आदिवासियों के लिए पांच सौ हास्टल बनाये जाएगे।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के कार्यकाल के दौरान महिला शिक्षिकाओं की संख्या में बढोत्तरी हुई। वर्ष 2013-14 में देश में महिला शिक्षक की संख्या 38.25 लाख होती थी यह आज 48.76 लाख हो गई है। सरकार शिक्षकों की संख्या बढाने के लिए कई योजनाएं चलाई है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने छठी कक्षा से व्यावसायिक शिक्षा की कल्पना की ताकि आगे चलकर रोजगार मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों में नवाचार करने की जन्मजात गुण होता है जिसे बढावा देने के लिए अटल इनोवेशन योजना लाई गई।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की सभी भाषा राष्ट्रीय है यह हमारी सरकार की सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्पष्ट मानना है कि बच्चा अगर क्लास पांच तक अपनी मातृ भाषा में पढेगा तब उसकी क्रिटिकल सोच की शुरुआत होगी।शिक्षा मंत्री ने कहा कि जेईई नीट जैसी परीक्षा आज तेरह भाषाओं में लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा ज्ञान परंपरा आधारित बने यह हमारी मान्यता है।

उन्होंने कहा कि पहले विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती में एससी एसटी के योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने पर सामान्य वर्ग से भर दिया जाता था लेकिन हमारी सरकार योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने पर उसे खाली रखती है। उन्होंने कहा कि आरक्षित सीटों को आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को ही दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि परीक्षा में तनाव हटे यह सब अभिभावकों की चाहत है। परीक्षा में तनाव दूर करने के लिए प्रधानमंत्री स्वयं बच्चों के साथ चर्चा करते हैं। इसमें भी लोगों को परेशानी होती है। हमें 21वीं सदी की चुनौतियो को समझना है। भारत विश्व बंधु की कल्पना करने वाला देश है।

शिक्षा मंत्री के जवाब के बाद शिक्षा की अनुदान माँगों को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

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