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प्राचीन मिस्र की “चीखती महिला” ममी का सुलझा रहस्य, डॉक्टरों ने सीटी स्कैन कर किए कई चौंकाने वाले खुलासे

नई दिल्ली। प्राचीन मिस्र की एक अद्भुत खोज ने वैज्ञानिकों को वर्षों से परेशान कर रखा है। 1935 में मिश्र के लक्सर के पास डेर अल-बहारी में पुरातात्विक अभियान के दौरान एक महिला की ममी मिली थी, जिसका मुंह खुला हुआ था और ऐसा लग रहा था जैसे वह पीड़ा भरी चीख रही हो। बाद में इस ममी को “स्क्रीमिंग वुमन” या “चीखती महिला” नाम दिया गया।

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने सीटी स्कैन का उपयोग करते हुए इस महिला की ममी के बारे में कई रहस्यों को सुलझाकर सार्वजनिक किया। 1935 में, न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन संग्रहालय ने इस अभियान का नेतृत्व किया था।

उन्होंने एक अनोखी खोज की, एक लकड़ी का ताबूत जिसमें एक बुजुर्ग महिला की ममी थी। जिसने काले रंग की विग और चांदी और सोने की दो स्कारब रिंग पहनी हुई थी। लेकिन पुरातत्वविदों को जो बात चौंका गई, वह थी ममी की अभिव्यक्ति! उसका मुंह खुला हुआ था, मानो चीख के साथ बंद की गई हो। उन्होंने उसे “चीखती हुई महिला” नाम दिया।

हाल ही में इसकी रिसर्च स्टडी जर्नल फ्रंटियर्स इन मेडिसिन में प्रकाशित हुई। अध्ययन का नेतृत्व काहिरा विश्वविद्यालय के रेडियोलॉजी प्रोफेसर सहर सलीम ने किया। प्रोफेसर सहर सलीम ने बताया कि जांच से पता चला कि जब महिला की मृत्यु हुई तब वह लगभग 48 साल की थी। उन्होंने कहा, “महिला रीढ़ की हड्डी में हल्के गठिया बाई से पीड़ित थी और उसके कुछ दांत टूटे हुए थे।”

सलीम ने यह भी बताया कि महिला का शरीर अच्छी तरह से संरक्षित था। लगभग 3,500 साल पहले प्राचीन मिस्र के न्यू किंगडम काल के दौरान, उसे जुनिपर तेल और लोबान राल जैसी महंगी आयातित सामग्री का उपयोग करके लेपित किया गया था।

प्राचीन मिस्रवासी मौत के बाद शरीर को संरक्षित करते थे। उनका मानना था कि मौत के पार वाले जीवन में उसे किसी भी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए। ममीकरण प्रक्रिया के दौरान, हृदय को छोड़कर अन्य आंतरिक अंगों को निकालने की प्रथा थी, लेकिन इस महिला के साथ ऐसा हुआ हो इसे लेकर संशय है।

दरअसल, प्राचीन मिस्र में मृतकों पर मसाला लपेटने वाले एक खास बात का ध्यान रखते थे। वो ये कि मृतकों का मुंह बंद रखा जाए ताकि वे सुंदर दिखें। हालांकि, इस महिला के मामले में शव पर लेपी गई सामग्री की गुणवत्ता ने इस बात को खारिज कर दिया कि ममीकरण की प्रक्रिया लापरवाही से की गई थी और लेप लगाने वालों ने उसके मुंह को बंद करने की कोशिन नहीं की गई थी।

प्रोफेसर सलीम का अनुमान है कि, “इस जांच से इस ममी के मुंह खुले होने के लिए अन्य स्पष्टीकरण देने का रास्ता खुल गया। अब यह कहना आसान हो गया है कि महिला पीड़ा या दर्द से चिल्लाते हुए मर गई और शव की ऐंठन के कारण मृत्यु के समय चेहरे की मांसपेशियां इस उपस्थिति को बनाए रखने के लिए सिकुड़ गईं।”

महिला की मौत का असली इतिहास या परिस्थितियाँ अभी भी अज्ञात हैं, इसलिए उसके चेहरे पर चीखने-चिल्लाने का कारण निश्चित रूप से नहीं बताया जा सकता है। सलीम ने कहा कि कैडवेरिक ऐंठन, एक खराब समझी जाने वाली स्थिति है, जो गंभीर शारीरिक या भावनात्मक पीड़ा के बाद होती है, जिसमें अनुबंधित मांसपेशियां मृत्यु के तुरंत बाद कठोर हो जाती हैं। प्रोफेसर सलीम बताते हैं, “पोस्टमॉर्टम में रिगर मोर्टिस के अलावा, शव की ऐंठन, शरीर की मांसपेशियों के केवल एक समूह को प्रभावित करती है, पूरे शरीर को नहीं,”

इस रिसर्च से “चीखती महिला” की ममी का रहस्य थोड़ा और स्पष्ट हो गया है। हालांकि कई सवालों के जवाब अभी भी नहीं मिल सके हैं। प्राचीन मिस्र के इतिहास और वहां की ममीकरण प्रक्रियाओं के बारे में जानने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान जारी है। जो कि हमें उन रहस्यों के और करीब ले जाएगा जो सदियों से दफन हैं।

–आईएएनएस

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