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सुदेश महतो ‘सिल्ली’ नहीं ‘टुंडी’ से उतरेंगे मैदान में ! BJP ने AJSU की मदद से JMM के किला को ध्वस्त की बनाई रणनीति

धनबादः झारखंड के टुंडी विधानसभा क्षेत्र में होने वाले आगामी चुनाव में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। यह क्षेत्र परंपरागत रूप से पिछले तीन-चार दशकों से झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आजसू पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो को मैदान में उतारकर इस सीट पर जीत हासिल करने की रणनीति बना रही है। सुदेश महतो के सामने जेएमएम के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो तीन बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। मुकाबले को और दिलचस्प बनाने के लिए जयराम महतो ने भी ऐलान किया है कि यदि सुदेश महतो टुंडी से मैदान में उतरते हैं, तो वो भी वहां से चुनाव लड़ेंगे।

  • सुदेश के सहारे बीजेपी पर टुंडी सीट पर कब्जा की तैयारी में

भाजपा इस बार पार्टी को उम्मीद है कि सुदेश महतो की लोकप्रियता के सहारे वह इस सीट पर जीत हासिल कर लेगी। सुदेश महतो लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं। हालांकि, सुदेश महतो के सामने आसान चुनौती नहीं है। उन्हें न सिर्फ जेएमएम के कद्दावर नेता मथुरा प्रसाद महतो से टक्कर मिलनी है, बल्कि जयराम महतो की मौजूदगी से भी मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। जयराम महतो टुंडी के स्थानीय निवासी हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

  • टुंडी का शिबू सोरेन से गहरा नाता, अलग राज्य की बनी थी रणनीति

टुंडी विधानसभा क्षेत्र धनबाद जिले में आता है और गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। टुंडी हमेशा से ही जेएमएम का गढ़ रहा है और पार्टी संस्थापक शिवू सोरेन का इससे गहरा नाता रहा है। झारखंड आंदोलन में भी टुंडी की अहम भूमिका रही है। माना जाता है कि टुंडी में ही शिबू सोरेन ने विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर अलग झारखंड राज्य के गठन की रणनीति बनाई थी। बिनोद बिहारी महतो भी टुंडी से विधायक रह चुके हैं।

  • टुंडी की राजनीति ट्रिपल एम पर आधारित

टुंडी विधानसभा की राजनीति ट्रिपल एम पर आधारित है। ट्रिपल एम का मतलब महतो, मांझी और मुस्लिम आबादी से है। बताया जाता है कि टुंडी की जनसंख्या में महतो, मांझी और मुस्लिम समुदाय का बहुमत है, जिसे ‘ट्रिपल एम’ के नाम से भी जाना जाता है। इनमें से किन्हीं दो समुदायों का समर्थन किसी भी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकता है। जेएमएम को हमेशा से ही इन समुदायों का समर्थन मिलता रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार टुंडी विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी करीब 17 प्रतिशत, महतो-कुर्मी की आबादी 15, मंडल 5 और मांझी की आबादी करीब 4 प्रतिशत है।

  • लोकसभा चुनाव 2024 में टुंडी विधानसभा में जेएमएम को बढ़त

लोकसभा चुनाव में गिरिडीह संसदीय सीट से एनडीए में शामिल घटक दल आजसू पार्टी प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी की जीत हुई, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र में शामिल टुंडी विधानसभा सीट से जेएमएम को बढ़त मिली। लोकसभा चुनाव में मथुरा प्रसाद महतो ही इंडिया अलायंस के प्रत्याशी थे और उन्होंने अपने टुंडी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त बनाने में सफलता हासिल की।

  • 2019 में मथुरा प्रसाद महतो को मिली थी बड़ी जीत

2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम के मथुरा प्रसाद महतो ने भाजपा के विक्रम पांडे को भारी मतों से हराया था। महतो को 72,552 वोट मिले थे, जबकि पांडे को 46,893 वोट ही मिल पाए थे। आजसू उम्मीदवार राजकिशोर महतो को 15,921 वोट मिले थे।

  • टुंडी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और जेएमएम का दबदबा

आजादी के बाद करीब 20 वर्षों तक टुंडी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा। जबकि जनसंघ और बीजेपी के कद्दावर नेता रहे सत्यनारायण सिंह दुधानी ने भी इस सीट से तीन बार जीत हासिल की। वहीं सबा अहमद ने एक बार कांग्रेस और एक बार जेएमएम टिकट पर जीत हासिल की। जबकि बिनोद बिहारी महतो ने दो और उनके पुत्र राजकिशोर महतो ने एक बार जीत हासिल की। जेएमएम टिकट पर मथुरा प्रसाद महतो ने भी सीट से तीन बार जीत हासिल की।

  • चंद्रप्रकाश चौधरी पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को महत्व देने का आरोप

आजसू की स्थानीय इकाई में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर भाजपा कार्यकर्ताओं को तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुदेश महतो इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और क्या वह जेएमएम के इस अभेद गढ़ में भगवा परचम लहराने में कामयाब हो पाते हैं?

साभार : नवभारत टाइम्स

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