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किसानों को वैकल्पिक कृषि और वन उपज के लिए प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करें : मुख्यमंत्री

रांची, 6 अगस्त । मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार काे सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड के निदेशक पर्षद की तृतीय बैठक संपन्न हुई। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि झारखंड में कृषि एवं वनोपज क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इसे बढ़ावा देने के लिए सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड का गठन हुआ है। इसका उद्देश्य विभिन्न वनोपज का उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित करना है। ऐसे में इस सहकारी संघ की जानकारी किसानों तक पहुंचनी चाहिए, ताकि वे इससे जुड़कर उत्पादों का लाभ ले सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जिस तरह मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है उसे परंपरागत कृषि काफी प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसानों को वैकल्पिक कृषि के लिए भी तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि कृषक पाठशाला राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है। इस कृषक पाठशाला में किसानों को वैकल्पिक खेती का प्रशिक्षण दें। उन्हें वनोपज से जोड़ें। इसके लिए उन्हें संसाधन भी उपलब्ध कराने की पहल करें ताकि विपरीत परिस्थितियों में वे कृषि कार्य से जुड़कर अपने को मजबूत बनाए रख सकें।

सभी लैम्प्स-पैक्स को पूरी तरह क्रियाशील करें

मुख्यमंत्री ने राज्यभर में अवस्थित सभी लैम्प्स-पैक्स को पूरी तरह क्रियाशील करने का निर्देश अधिकारियों को दिया, ताकि किसानों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि लैम्प्स और पैक्स से आज भी किसानों की एक बड़ी संख्या निबंधित नहीं है। ऐसे में छूटे हुए सभी किसानों को जोड़ने की पहल करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि लैम्प्स-पैक्स भवनों की मरम्मत के साथ उसके उचित रख-रखाव और बेहतर प्रबंधन की पुख्ता व्यवस्था हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में लाह, इमली, कोदो, कुटकी, सरगुजा, चिरौंजी, आंवला, महुआ, करंज, रेशम और तसर जैसे कई वनोपज हैं, जिसकी उपयोगिता और बाजार में काफी ज्यादा मांग है लेकिन इसके उत्पादकों को इसका उचित फायदा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड के इन विशेष उत्पादों का वैल्यू एडिशन के साथ जियो टैगिंग करने की दिशा में कदम उठाएं, ताकि इन वनोपजों को बाजार उपलब्ध कराने के साथ किसानों को पूरा फायदा मिल सके। इससे झारखंड के इन विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक बाजार में भी अलग पहचान मिलेगी।

वनोपज एवं कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समुचित कदम उठाएं जाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनोपज एवं कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समुचित कदम उठाएं जाने चाहिए। वनोपज से जुड़े ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ें। इनके उत्पादन से संबंधित जानकारी और प्रशिक्षण दें, ताकि वह व्यावसायिक रूप से इनका उत्पादन कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाह तथा रेशम -तसर की खेती की झारखंड में काफी संभावनाएं हैं। ऐसे में इसके उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में पहल करें। उन्होंने कहा कि केंदू पत्ता वनोपज को भी सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ के दायरे में लाने की संभावनाएं तलाशें। इससे केंदू पत्ता के उत्पादन से जुड़े श्रमिकों को फायदा मिलेगा।

सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र फुदी को प्रोफेशनल तरीके से चलाने का सुझाव

मुख्यमंत्री ने कहा कि फुदी स्थित नवनिर्मित सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र में सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। उसे प्रोफेशनल तरीके से चलाया जाए। यदि आवश्यक हो तो राष्ट्रीय सहकारी संघ अथवा राष्ट्रीय प्रशिक्षण सहकारी परिषद् से समझौता ज्ञापन कर वहां प्रोफेशनल-वोकेशनल कोर्सेज करवाया जाए ताकि राज्य के नवयुवकों का स्किल विकास हो, उन्हें रोजगार मिल सके। पीपीपी मोड में भी चलने की संभावना तलाशी जाए।

मधु संग्राहकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि मधु संग्राहकों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए। उनका समूह बनाकर सिध्कोफेड से जोड़ा जाए एवं उनके मधु को वैश्विक बाजार उपलब्ध करने के लिए अमूल, सफोला, हिमालय जैसी बड़ी कंपनियों-संस्थाओं से समझौता ज्ञापन किया जाए ताकि मधु संग्राहकों को उचित मूल्य मिल सके एवं लोगों को उच्च गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्यवर्धक मधु उपलब्ध हो सके।

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