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पश्चिम बंगाल में हालात संकटग्रस्त, वर्तमान सरकार से जनता का विश्वास उठा : राज्यपाल

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉक्टर सी.वी. आनंद बोस ने एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या मामले को समाज के लिए सबसे शर्मनाक पल करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल संकट की स्थिति में है और जनता ने वर्तमान सरकार से विश्वास खो दिया है। उन्होंने मृत डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर आयोजित रैली पर सवाल उठाने वाले ममता बनर्जी के बयान को शब्दजाल बताया।

राज्यपाल बोस ने मंगलवार को एक साक्षात्कार में कहा, “बंगाल संकट की स्थिति में है। छात्रों ने सरकार से विश्वास खो दिया है, युवा डरे हुए हैं और महिलाएं निराश हैं। यह भावना बढ़ रही है कि जो सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिए है, वह अपनी भूमिका निभाने में असफल हो रही है।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्टग्रेजुएट महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई। घटना के विरोध में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल मंगलवार को 12वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। डॉक्टरों ने पीड़िता के लिए न्याय की मांग की है और कार्यस्थलों पर बेहतर सुरक्षा के लिए कानून बनाने की भी अपील की है।

बोस ने कहा, “छात्रों का पुलिस पर से विश्वास उठ गया है। खासकर महिला डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। आम नागरिक भी दुखी हैं कि जब कार्रवाई की जरूरत होती है, तब सरकार कोई कदम नहीं उठाती।” उन्होंने कोलकाता पुलिस पर “अपराधीकरण और राजनीतिकरण” का आरोप लगाते हुए, सरकार के कार्यों और जनता की जरूरतों के बीच एक संभावित अलगाव की बात कही।

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुख्यमंत्री की स्थिति स्पष्ट नहीं है। एक रैली में स्वास्थ्य मंत्री ने गृह मंत्री से परिसरों में सुरक्षा की कमी की शिकायत की। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री से कार्रवाई न होने की शिकायत की। लोग जानते हैं कि स्वास्थ्य मंत्री और गृह मंत्री दोनों मुख्यमंत्री ही हैं। यह स्थिति डॉ. जेकिल और मिस्टर हाइड की तरह है- हर कोई जानता है कि कौन क्या है। यह हास्यास्पद है कि बंगाल की मुख्यमंत्री न्याय की मांग करती फिरती हैं।”

राज्यपाल बोस ने सरकार की स्थिति को “जब रोम जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था” से तुलना करते हुए सरकार पर जनता की सुरक्षा में असफल होने का आरोप लगाया। उन्होंने इस स्थिति को राष्ट्रीय शर्म करार देते हुए कहा, “यह बंगाल के समाज के लिए सबसे शर्मनाक और मानवता के लिए सबसे चिंताजनक पल है।” उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा मृत डॉक्टर के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की पेशकश पर भी सवाल उठाया। उन्होंने इसे असंवेदनशील और अनुचित बताते हुए कहा, “यह बहुत अमानवीय है कि एक मूल्यवान जीवन को केवल एक मौद्रिक मूल्य में समेट दिया जाए। मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि पैसे से चुप्पी नहीं खरीदी जा सकती।”

14 अगस्त को अपने सार्वजनिक संबोधन में ममता बनर्जी ने कहा था, “पीड़िता अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन मैंने उसके माता-पिता से पूछा था कि क्या वे अपनी बेटी के नाम पर कुछ करना चाहेंगे और मैं वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार हूं। हां, हम परिवार को 10 लाख रुपये देने के लिए तैयार हैं।”

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 14 अगस्त की रात हुई तोड़फोड़ को लेकर राज्यपाल बोस ने सवाल उठाया कि क्या यह घटना डॉक्टर की हत्या से ध्यान हटाने के लिए की गई थी और इसे भीड़तंत्र द्वारा लोकतंत्र को बाधित करने की स्थिति करार दिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने पर विचार कर रहे हैं तो उन्होंने संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखेंगे।

राज्यपाल ने मृत डॉक्टर के माता-पिता से मिलने की इच्छा भी व्यक्त की लेकिन तभी जब वे मानसिक रूप से तैयार हों। उन्होंने कहा, “मैं उनसे उस समय मिलूंगा जब वे मानसिक रूप से इसके लिए तैयार होंगे। मैं उन माता-पिता की भावनाओं का सम्मान करता हूं जिन्होंने अपनी प्रिय बेटी को खो दिया। मैं उन्हें पर्याप्त समय दूंगा।”

उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) बलात्कार और हत्या मामले की जांच कर रही है।

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