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जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग करने वाले वकील को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

नई दिल्ली, 21 जुलाई । सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग पर जल्द सुनवाई करने की मांग करने के दौरान वकील नेदूम्परा को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। जब वकील नेदुम्परा ने जस्टिस यशवंत वर्मा को ‘वर्मा’ संबोधित किया तो चीफ जस्टिस ने कहा कि आप कुछ तो मर्यादा रखिए, अभी वो वर्तमान में जस्टिस यशवंत वर्मा हैं।

सुनवाई के दौरान नेदूम्परा ने कहा कि वर्मा के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या आप चाहते हैं कि आपकी याचिका खारिज कर दी जाए। आपकी याचिका उचित समय पर लिस्ट की जाएगी। 21 मई को सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन बेंच ने वकील नेदुम्परा की याचिका खारिज कर दी थी। याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज कर प्रभावी जांच करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि चीफ जस्टिस की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच समिति को जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। वो घटना भारतीय न्याय संहिता के तहत विभिन्न संज्ञेय अपराधों के दायरे में आती है।

याचिका में कहा गया है कि जांच समिति को इस तरह जांच का अधिकार देने के फैसले का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को खुद को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया है कि जब अग्निशमन दल और दिल्ली पुलिस ने आग बुझाने का काम किया तो यह भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत संज्ञेय अपराध है और यह पुलिस का कर्तव्य है कि वो एफआईआर दर्ज करे। याचिका में कहा गया है कि यह न्याय बेचकर काला धन रखने का मामला है। याचिका में कहा गया है कि जस्टिस वर्मा के बयान पर अगर विश्वास भी कर लिया जाए तो यह सवाल बना हुआ है कि उन्होंने एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर 14 मार्च को आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग ने कैश बरामद किया था।

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