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झारखंड विधानसभा में स्मार्ट मीटर का मुद्दा उठा

रांची, 2 मार्च । झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के सातवें और अंतिम दिन शनिवार को भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने राज्य में लग रहे स्मार्ट मीटर का मुद्दा उठाया। विधायक की ओर से मुख्य रूप से स्मार्ट मीटर लगाये जाने के दौरान तार की खरीदारी और उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले बोझ पर बल दिया गया।

इस दौरान विभाग की ओर से जानकारी दी गयी कि नया स्मार्ट मीटर लगाने के लिये उपभोक्ताओं को निजी खर्च से तार नहीं देना है। इस संबंध में बिजली वितरण निगम की ओर से समय समय पर कैंप और समाचार पत्रों में विज्ञापन और खबर के माध्यम से लोगों को जानकारी दी गयी है। रांची में अब तक एक लाख 96 हजार स्मार्ट मीटर लगाये गये है। वहीं, धनबाद जिला में भी दो हजार स्मार्ट मीटर लगाये गये हैं। अन्य किसी भी जिला में स्मार्ट मीटर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।

विधायक की ओर से पूछा गया कि पुराने मीटर को एजेंसी के लोग साथ ले जाते है। इस पर विभाग ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालय में पूराने मीटर को सौंप दिया जाता है, जिसके बाद एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की ओर से पुराने मीटर और नया मीटर अधिष्ठापन का सत्यापन करती है। वहीं, पूर्व में एल्यूमीनियम तार स्मार्ट मीटर के साथ लगाये जाने पर विभाग ने जानकारी दी कि उपभोक्ताओं के करेंट रेटिंग के अनुसार एल्यूमीनियम कवर्ड तार लगाया गया है। स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया के साथ ही एल्यूमीनियम तार का इस्तेमाल कंपनी कर रही है। इसमें कहीं भी कॉपर तार का प्रयोग नहीं किया जा रहा है।

इस दौरान करंट हादसा से मरने वालों लोगों को मिलने वाले मुआवजा की दिशा में क्या कार्य किया जा रहा है, इसकी जानकारी भी मांगी गयी। इस विभाग की ओर से जानकारी दी गयी कि करंट हादसा से पीड़ित लोगों या परिजनों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाता है। ऐसे मामलों में विद्युत निरीक्षक या कार्यपालक अभियंता की ओर से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालय को दी जानी है। रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्रीय मुआवजा कमेटी की ओर से मुआवजा निर्गत किया जाता है।

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