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वरुण गांधी को कांग्रेस के गढ़ से लड़ाने की तैयारी में बीजेपी!

सुलतानपुर। मेनका गांधी को पीलीभीत तो वहां से वरुण गांधी रायबरेली भेजे जा सकते। वहीं, सुलतानपुर सीट पर इस बार स्थानीय प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। भाजपा में भीतरखाने इस बात की चर्चा तेज हो गई है। इस चर्चा को कई कोण से बल भी मिलता नजर आ रहा है, लेकिन सही तस्वीर 22 मार्च तक सामने आने की उम्मीद है।

लगातार दो चुनावों में भाजपा सुलतानपुर सीट पर अपराजेय रही। 2014 के चुनाव में यहां से वरुण गांधी तो 2019 में उनकी मां मेनका गांधी सांसद बनीं। इस बार भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है। कई स्तरों पर हुए सर्वे के बाद यह सीट पार्टी के लिए मजबूत मानी जा रही है।

ऐसे में यहां से किसी नए और स्थानीय चेहरे को मौका देने की तैयारी है। इसमें वरियता कुर्मी बिरादरी के दावेदार को मिलने के आसार हैं। हालांकि, अब तक यह महज संभावना है।

फैजाबाद मंडल में सबसे कमजोर सीट अंबेडकरनगर मानी जा रही थी, इसके लिए भाजपा ने बसपा के वर्तमान सांसद रितेश पांडेय काे पाले में कर बड़ा दांव चल दिया है। वहीं, लखनऊ मंडल में भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी रायबरेली है। कारण, लगातार कांग्रेस व गांधी परिवार का कब्जा है।

पिछली बार सांसद चुनी गईं सोनिया गांधी ने इस बार खुद को किनारे कर लिया। वह राज्यसभा के जरिए उच्च सदन में पहुंच गईं। उनकी जगह कौन लेगा, अभी यह तय नहीं हो सका। ऐसे में इस बार भाजपा गांधी परिवार के जरिए ही अपनी कमजोरी को दूर करने की जुगत में है। इस खांचे के लिहाज से वरुण गांधी का नाम फिट बैठ रहा है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पीलीभीत से इनके नाम पर न नुकुर करने वाले नेताओं को यह सुझाव बेहतर विकल्प नजर आ रहा है। ऐसे में ज्यादा संभावना मेनका गांधी को पीलीभीत से लड़ाने की बन रही है, जबकि वरुण को रायबरेली शिफ्ट कर कांग्रेस के किले को ध्वस्त करने की रणनीति तैयार हो रही है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि कांग्रेस से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं उतरा तो वरुण भी रायबरेली के नाम पर हामी भर सकते हैं। वहीं, मेनका गांधी का संकट भी दूर हो जाएगा। साथ ही सुलतानपुर सीट पर नए चेहरे को आजमाने की चाह भी पूरी हो जाएगी।

पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि अंतिम निर्णय हाईकमान को लेना है, लेकिन 22 तक तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट करनी होगी। हालांकि, अभी भी कांग्रेस की ओर से अमेठी व रायबरेली को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई। इस कारण भाजपा भी उचित अवसर का इंतजार कर रही है। अब देखने वाली बात यह होगी की भाजपा मेनका व वरुण गांधी की सीटों में बदलाव करती है या फिर रिपीट, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।

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