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भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति-सुरक्षा के लिए मजबूत क्षमता का प्रदर्शन किया

  • भारतीय सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप से दागी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
  • ब्रह्मोस ने ऊंची उड़ान भरकर एक बार फिर साबित की अपनी अद्वितीय आसमानी ताकत

नई दिल्ली। भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने अंडमान और निकोबार द्वीप से लंबी दूरी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल प्रक्षेपण करके हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक मजबूत ताकत के रूप में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। ब्रह्मोस मिसाइल ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऊपर ऊंची उड़ान भरते हुए एक बार फिर अपनी अद्वितीय शक्ति को साबित किया। सोच-समझकर किये गए मिसाइल हमले ने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया।

इससे पहले भारतीय सेना ने पिछले साल 10 अक्टूबर और 03 नवंबर को 450 किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी पर लक्ष्य को मारने वाली ब्रह्मोस के संस्करण का परीक्षण किया था। 29 मार्च को किये गए परीक्षण के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप में नो-फ्लाई जोन का सुझाव दिया गया था। विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस 450 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है।

भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने एक बयान में बताया कि राइजिंग सन मिसाइल विशेषज्ञों ने अपनी लंबी दूरी की लक्ष्यीकरण क्षमताओं का प्रदर्शन किया। इसके लिए एक अन्य द्वीप पर लक्ष्य रखा गया था, जिसे मिसाइल ने 90 डिग्री मुड़कर सटीक निशाना बनाया। इस सफल मिसाइल परीक्षण से भारतीय सेना के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। साथ ही दुश्मनों के लिए भारत और अधिक मजबूत हो गया है।

भारत के लगातार सफल परीक्षण किये जाने से विरोधियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दुनिया की सबसे तेज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भूमि हमले संस्करण का पहला परीक्षण 24 नवम्बर, 2020 को भारतीय सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से ही किया था। ब्रह्मोस लैंड-अटैक मिसाइल को चीन के खिलाफ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया गया है।ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस कुछ सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब एयरबेस में तैनात हैं। भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित की गई ब्रह्मोस अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है, जिसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी बना दिया है। ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर से बढ़ाकर 800 किलोमीटर तक कर दी गई है और अब 1,000 मिलीमीटर की रेंज बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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