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चुनावी बांड: एसआईटी जांच के लिए उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल: रद्द कर दी गई चुनावी बांड योजना में ‘घोटाले’ का आरोप लगाते हुए इसकी जांच उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराने का निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका शीर्ष अदालत में दायर की गई है।

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से गैर सरकारी संगठनों – ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’- द्वारा संयुक्त रूप से दायर जनहित याचिका कहा गया है कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में बेदाग निष्ठावान मौजूदा या सेवानिवृत्त अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा जांच की जानी चाहिए।

याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि बड़ी संख्या में बांड कई कॉरपोरेट्स द्वारा राजनीतिक दलों को अनुबंध या लाइसेंस या पट्टे प्राप्त करने के लिए दिए गए हैं।

याचिका में यह भी कहा गया, ‘कुछ उदाहरणों में यह देखा गया है कि केंद्र या राज्यों के सत्ताधारी राजनीतिक दलों ने सार्वजनिक हित की कीमत पर निजी कॉर्पोरेट्स को लाभ प्रदान करने के लिए नीतियों या कानूनों में स्पष्ट रूप से संशोधन किये। याचिका में चुनावी बांड के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) , सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) , केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर भी सवाल उठाए गए हैं।

उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और अन्य की जनहित याचिकाओं पर 15 फरवरी को चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था। इसके साथ ही बांड जारीकर्ता बैंक एसबीआई को निर्देश दिया था कि वह संबंधित सभी डेटा चुनाव आयोग को उपलब्ध करा दे। चुनाव आयोग को संबंधित सभी डाटा को अपनी बेवसाइट पर सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद खुलासा हुआ कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने करीब 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुनाये थे।

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