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लोकसभा चुनाव : बेहद खास गोड्डा संसदीय सीट पर लगातार भारी पड़ रही भाजपा

रांची। संथाल परगना में तीन लोकसभा सीटों में सिर्फ गोड्डा लोकसभा सीट ही है जो अनारक्षित है। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोरैयाहाट, महगामा और गोड्डा विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर बनाया गया है। गोड्डा सीट बिहार से सटा हुआ है। इसके एक तरफ भागलपुर है तो दूसरी तरफ बांका। गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में ही देवघर और बाबा धाम मंदिर आता है। ऐसे में यह सीट बेहद खास हो जाता है।

यहां पर पिछले तीन चुनावों से लगातार भाजपा के डॉ निशिकांत दुबे जीत रहे हैं। हालांकि, शुरुआती समय में यह सीट कांग्रेस भी जीत चुकी है। गोड्डा लोकसभा सीट 1962 में अस्तित्व में आई। इस लोकसभा सीट पर कुल 14 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 10 बार संयुक्त बिहार के साथ रहते हुए और पांच लोकसभा चुनाव बंटवारे के बाद हुए हैं। वर्ष 1962 में गोड्डा में पहली लोकसभा चुनाव हुए।

कांग्रेस ने पहले लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की

1962 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जीत हुई। 1962 में गोड्डा से प्रभुदयाल हिम्मत सिंहका विजयी हुए। इन्हें कुल 40.6 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, जनता पार्टी दूसरे स्थान पर थी, जिसमें मोहन सिंह ओबेरॉय को 30.5 प्रतिशत वोट मिले थे। 1967 के लोकसभा चुनाव में भी गोड्डा लोकसभा सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभु दयाल हिम्मत सिंहका ही विजय हुए। 1967 में इन्होंने 36.8 फीसदी वोट हासिल किए जबकि भारतीय जनसंघ को 24.4 फीसदी वोट मिले थे। 1971 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद सहानुभूति की लहर में एक बार फिर से कांग्रेस ने जीत दर्ज की। यहां से जगदीश मंडल कांग्रेस के उम्मीदवार थे।

कांग्रेस को 1977 में हार का करना पड़ा सामना

1977 के लोकसभा चुनाव में दो बार से लगातार जीत रही कांग्रेस पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी। इस सीट पर भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की। भारतीय लोकदल के जगदंबी प्रसाद यादव ने इस सीट पर जीत दर्ज करते हुए 68.6 फीसदी वोट हासिल किए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 25.5 फीसदी वोट मिले। हालांकि, कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में अपना उम्मीदवार बदल दिया था।

1980 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी सीट को हासिल किया। यहां से समीनउद्दीन ने जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर जनता पार्टी के जगदंबी प्रसाद यादव रहे थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 1980 के चुनाव में कुल 35.7 फीसदी वोट मिले थे। जनता पार्टी को 27.30 वोट मिले। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में जगदंबी प्रसाद यादव भारतीय लोक दल से जीते थे लेकिन जनता पार्टी में जाने के कारण यह सीट उनके हाथ से निकल गई।

1984 के लोकसभा चुनाव में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर से गोड्डा सीट पर कब्जा किया। यहां से शमीमुद्दीन सांसद चुने गए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 44.8 फीसदी वोट मिले। भाजपा को 16.5 फीसदी वोट मिले। झामुमो को यहां कुल 15.8 फीसदी वोट और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 14.2 फीसदी वोट मिले।

भाजपा 1989 में पहली बार जीती

1989 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की। जनार्दन यादव भाजपा से इस लोकसभा क्षेत्र से विजयी हुए। इन्हें कुल 53.01 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर झामुमो के सूरज मंडल रहे। इन्हें 21.8 फीसदी वोट मिले थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 20.8 फीसदी वोट मिले थे। 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में झामुमो ने गोड्डा सीट पर बाजी मारी। झामुमो को लोकसभा में कुल 48.5 फीसदी वोट मिले। जबकि भाजपा के जनार्दन यादव को कुल 29 फीसदी वोट मिले। वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 16.02 फीसदी वोट प्राप्त हुए।

1996 की लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर से यहां पर जीत दर्ज की। यहां से जगदंबी प्रसाद यादव 35.3 फीसदी वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। जनता दल दूसरे स्थान पर रही, जिसे 26.4 फीसदी वोट मिले। झामुमो को 19.6 फीस रिपोर्ट मिले और वह तीसरे स्थान पर रही। 1996 में कांग्रेस की हालत काफी खराब रही और यहां उन्हें सिर्फ 9.2 फीसदी वोट मिले। गोड्डा में भाजपा इस लोकसभा सीट पर कब्जा की थी।

भाजपा ने 1999 में भाजपा ने लगाया जीत का हैट्रिक

1998 फिर हुए लोकसभा उप चुनाव में भाजपा ने यहां से बाजी मारी। भाजपा को कुल 46.5 फीसदी वोट मिले और जगदंबी प्रसाद यादव फिर से भाजपा के सांसद बने। झामुमो के सूरज मंडल को 35.9 फीसदी वोट मिले। जनता दल 11 फ़ीसदी वोट यहां पास सकी थी। 1999 में हुए लोकसभा के चुनाव के लिए भाजपा ने फिर सीट पर कब्जा जमाया। जगदंबी प्रसाद यादव 34.5 फीसदी वोट हासिल कर भाजपा के खाते में गोड्डा सीट को डाला। झामुमो को 22 फीसदी वोट मिले। झामुमो की तरफ से सूरज मंडल ने ताल ठोका था लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर सके। 1999 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को गोड्डा सीट पर सिर्फ 17 फीसदी वोट मिले जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 13.5 फीसदी वोट हासिल हुआ।

2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने मारी बाजी

बिहार से अलग होने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव जो झारखंड राज्य के तहत हुआ था उसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फुरकान अंसारी ने इस सीट पर कब्जा जमाया। कांग्रेस को 44. 9 फीसदी वोट मिले जबकि भाजपा के उम्मीदवार प्रदीप यादव को 41.7 फीसदी वोट मिले। हालांकि, लगातार तीन बार भाजपा यहां जीती थी लेकिन झारखंड बंटवारे के बाद यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई।

फिर 2009 में भाजपा ने हासिल की सीट

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉक्टर निशिकांत दुबे ने गोड्डा सीट पर जीत हासिल की। इसके साथ गोड्डा एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी से भाजपा के खाते में चला गया। 2009 में कांग्रेस के फुरकान अंसारी को 23 फीसदी वोट मिले जबकि झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक को 22.02 फीसदी वोट मिले थे। झामुमो के दुर्गा सोरेन यहां से चुनाव लड़े थे, जिन्हें 9.2 फीसदी को मिले थे।

निशिकांत दुबे ने 2019 में लगाई जीत की हैट्रिक

2009 में गोड्डा सीट भाजपा के कब्जे में आ चुकी थी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की। डॉ निशिकांत दुबे भाजपा की उम्मीदवार थे और इन्हें 36.3 फीसदी वोट मिले। 2014 में सभी लोकसभा सीटों पर मोदी के लहर का असर था। हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फुरकान अंसारी को 30.5 फीसदी वोट मिले थे। झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक को 18.4 फीसदी वोट मिले।

2019 की लोकसभा चुनाव में गोड्डा लोकसभा सीट फिर भाजपा के कब्जे में रही। यहां से 2009 और 2014 के सांसद रहे निशिकांत दुबे ने तीसरी बार जीत दर्ज की। 2019 में गोड्डा से भाजपा को कुल 53.4 फीसदी वोट मिले थे। झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के प्रदीप यादव को 38.8 फीसदी वोट मिले। इस बार भी डॉ निशिकांत दुबे को ही भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। अब देखने वाली बात है कि 2024 के लोकसभा के समर में डॉ निशिकांत दुबे फिर जीत दर्ज करते हैं।

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