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प्रकृति पर्व सरहुल : केकड़ा और मछली पकड़ने की विधि हुई पूरी, निकलेगी शोभायात्रा

रांची। राज्य का प्रमुख प्रकृति पर्व सरहुल आज है। प्रकृति के प्रति अपनी आस्था और प्रेम प्रदर्शित करने के लिए झारखंड की आदिवासी जनजातियां सरहुल का त्योहार मनाते हैं। सरहुल को लेकर राज्य में उत्साह है। चार दिन से इस पर्व में उपवास, जल रखाई के साथ वर्षा की भविष्यवाणी समेत मछली और केकड़ा पकड़ने की रस्म गुरुवार सुबह निभाई गयी।इसके बाद दोपहर को सरहुल पूजा के बाद भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।

रांची के सभी सरना स्थल पर पारंपरिक विधि विधान से पूजा पाठ किया जा रहा है। इस दौरान सभी मौजा के युवाओं ने केकड़ा और मछली पकड़ा और जल रखाई की पूजा की गई। पाहन जगलाल के अनुसार महाप्रलय के समय धर्मेश और सरना मां ने दो लोगों को केकड़ा के बिल में छुपाया था, जिससे सृष्टि दोबारा शुरू हो सके, केकड़ा पकड़ने का विधि तभी से चली आ रहा है।बुधवार को वाहनों के द्वारा दो घड़ों में पानी रखकर जल रखाई पूजा हुई। इसके जरिये बारिश की भविष्यवाणी की जाती है।

सरहुल पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। सरहुल के पहले दिन मछली के अभिषेक किए हुए जल को घर में छिड़का जाता है।दूसरे दिन उपवास रखा जाता है और गांव के पुजारी गांव की हर घर की छत पर साल के फूल रखते हैं। वहीं तीसरे दिन गांव के पहान सरना स्थल पर सरई के फूलों से पूजा करते हैं और इसी दिन पाहन उपवास रखते हैं। इसके साथ ही पाहन के द्वारा मुर्गे की बलि दी जाती है। पूजा के चौथे दिन सरहुल फूल का विसर्जन किया जाता है, जिसमें भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है।

गुरुवार को दोपहर दो बजे के बाद राजधानी रांची में सरहुल को लेकर भव्य शोभा यात्राएं निकाली जाएंगी। इस शोभायात्रा में पारंपरिक वेशभूषा में हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे

राजधानी रांची में सरहुल की शोभा यात्रा को लेकर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इसके तहत गुरुवार को दिन के एक बजे से शोभा यात्रा की समाप्ति तक मेन रोड में सामान्य वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। ट्रैफिक एसपी राजकुमार मेहता की ओर से इससे संबंधित रूट चार्ट जारी किया गया है।

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