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पाकुड़ के जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पत्र से हड़कंप

पाकुड़, 1 अप्रैल । पाकुड़ में चुनाव ड्यूटी के लिए अनफिट कर्मियों की नौकरी संकट में पड़ सकती है। उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। पाकुड़ के उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी मृत्युंजय कुमार वर्णवाल द्वारा जारी एक पत्र से तो यही संकेत मिल रहा है। हालांकि राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि पत्र में कही गई बातों को सही तरीके से कम्युनिकेट नहीं किया गया।

पाकुड़ में मेडिकल बोर्ड ने चुनाव ड्यूटी के लिए 30 कर्मचारियों को अनफिट करार दिया है। इस सूची में पांच गर्भवती महिलाएं भी हैं। इस सूची के आने के बाद पाकुड़ के डीसी ने अनफिट करार दिए गये सभी 30 कर्मचारियों से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव उपलब्ध कराने के लिए सभी संबंधित कार्यालय प्रधान को पत्र जारी किया है। डीसी के इस पत्र से सरकारी कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।

पाकुड़ के डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार वर्णवाल ने कार्यालय प्रधानों के नाम लिखे पत्र में इस बात पर सवाल उठाया है कि जब कोई कर्मी चुनाव ड्यूटी के लिए अनफिट है तो वह दैनिक सरकारी कार्यों का निर्वहन कैसे कर पाता होगा। ऐसे कर्मी बिना कार्य किए हर माह वेतन की राशि ले रहे हैं, जिससे सरकारी खजाने पर बेवजह भार पड़ रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है। इसके बाद डीसी ने लिखा है कि ऐसे अनफिट कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव, पत्र प्राप्ति के चार सप्ताह के अंदर अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।

पूरे मामले पर पाकुड़ के डीसी ने बताया कि इस बाबत एक पत्र 27 मार्च को जारी हुआ था लेकिन उनकी बातों को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने मेडिकल बोर्ड द्वारा अनफिट लोगों की बात नहीं की है। उनका कहना है कि पाकुड़ में मेन पावर की कमी है। इसके बावजूद सौ से ज्यादा कर्मियों ने अपने मेडिकल ग्राउंड का हवाला देकर चुनाव ड्यूटी से विमुक्ति का आवेदन दिया था, जिन लोगों को बोर्ड ने अस्वस्थ करार दिया है, उनको लेकर यह पत्र जारी किया गया है।

पत्र जारी करने में हुई थी जल्दबाजी : मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

इस संबंध में झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने बताया कि चुनाव के वक्त बड़ी संख्या में मेन पावर की जरूरत होती है लेकिन कर्मियों के स्वास्थ्य को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्ट गाइडलाइन है, जिसका पालन करना होता है। अगर मेडिकल बोर्ड किसी को चुनाव ड्यूटी के लिए अनफिट बताता तो उस कर्मी के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाता है, जहां तक पाकुड़ के डीसी की बात है तो उन्होंने अपनी बात को सही तरीके से कम्यूनिकेट नहीं किया। उनके पत्र से मिसइंटरप्रेटेशन हुआ था। बाद में उन्होंने आयोग के नियमों का हवाला देते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी है। पाकुड़ के निर्वाचन पदाधिकारी के पास चुनाव को सुनिश्चित कराने के लिए अभी अच्छा खासा समय है। अब पाकुड़ में किसी तरह की समस्या नहीं है।

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