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झारखंड विधानसभा में राज्यपाल के आरक्षण वाले बयान पर हंगामा

सरकार से की आरक्षण बिल पर पुनर्विचार के लिए राजभवन पर दबाव बनाने की अपील

रांची, 28 फ़रवरी । झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन बुधवार को राज्यपाल के आरक्षण पर दिये गये बयान को लेकर कांग्रेस ने विरोध किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला ने कहा कि राज्यपाल ने आरक्षण बिल लौटाया है। हमारे अधिकार को छीना जा रहा है। मैं इसका विरोध करता हूं।

विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि चलते सत्र के दौरान राज्यपाल का बयान आता है कि 77 फीसदी आरक्षण असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि झारखंड के पिछड़े, दलित और आदिवासी इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।सरकार विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए राजभवन पर दबाव बनाये। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को जमशेदपुर में कहा था कि झारखंड सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए 77 फीसदी आरक्षण का विधेयक राजभवन को भेजा था। ऐसे विधेयक को संवैधानिक तौर पर खारिज करना ही होगा। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी 77 फीसदी आरक्षण को गलत ठहरा दिया है।

खूंटी के एक स्कूल में पहली से दसवीं तक पढ़ते हैं सिर्फ 71 छात्र

आदिवासी बहुल खूंटी जिला के रनिया प्रखंड में मौजूद बेलकीदूरा हाई स्कूल का मामला तोरपा से भाजपा विधायक कोचे मुंडा ने सदन में उठाया। प्रश्न काल के दौरान उन्होंने सरकार से पूछा कि इस स्कूल का संचालन सिर्फ दो कमरों में हो रहा है जबकि हर कक्षा के लिए कम से कम एक कमरा होना जरूरी है। कमरा नहीं होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं।

जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि खूंटी के उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बेलकीदूरा में कक्षा एक से कक्षा 10 तक पढ़ाई होती है। सरकार ने स्वीकार किया कि यहां सिर्फ दो कमरों में पठन-पाठन हो रहा है लेकिन आश्चर्य की बात है कि कक्षा एक में 8, कक्षा 2 में 5, कक्षा 3 में 8, कक्षा 4 में 14, कक्षा 5 में 10, कक्षा 6 में 2, कक्षा 7 में 9, कक्षा 8 में 4, कक्षा 9 में 3 और कक्षा 10 में सिर्फ आठ छात्र हैं।

स्कूल में छात्रों की कुल संख्या 71 है जबकि प्राथमिक शिक्षा के लिए एक और उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए एक शिक्षक सेवारत हैं। प्रभारी मंत्री ने कहा कि जिला की योजना अनाबद्ध निधि से दो नए अतिरिक्त कमरों की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है, जिसका निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर छात्रों की संख्या बढ़ेगी तो जरूरत के हिसाब से अन्य कमरों का भी निर्माण किया जाएगा।

इस पर विधायक कोचे मुंडा ने कहा कि इलाके के छात्र पढ़ना चाहते हैं लेकिन दो कमरों में तमाम कक्षाएं चलने की वजह से पढ़ाई में दिक्कत होती है। इस वजह से सक्षम अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों में भेजते हैं या फिर उनकी पढ़ाई बंद हो जाती है। रनिया प्रखंड कभी माओवादियों का गढ़ कहा जाता था। शाम होते ही लोग घरों से निकलना बंद कर देते थे लेकिन सीआरपीएफ की मौजूदगी के बाद इस इलाके के हालात में व्यापक परिवर्तन आया है। इसके बावजूद शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है।

विधानसभा क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज खोलने का मुद्दा उठाया

प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक ढुल्लू महतो ने बाघमारा विधानसभा क्षेत्र में डिग्री कॉलेज अब तक नहीं खोले जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के कतरास में एकमात्र सरकारी कॉलेज है। 61 पंचायत और आठ नगर निगम क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करने में परेशानी हो रही है।

उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को दूसरी जगह शिफ्ट होना पड़ रहा है या शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ रही है।जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि संबंधित विधानसभा क्षेत्र के तहत कतरास कॉलेज के अलावा बाघमारा कॉलेज और डीएवी महिला कॉलेज, कतरासगढ़ स्थायी संबद्धता प्राप्त कॉलेज है। इसमें बाघमारा विधानसभा क्षेत्र और आसपास के प्रखंडों के छात्र शिक्षा हासिल करते हैं। वर्तमान में बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के कतरास में सरकारी कॉलेज के निर्माण का प्रस्ताव नहीं है।

इसपर विधायक ढुल्लू महतो ने कहा कि एक तरफ सरकार घोषणा करती है कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज खुलेगा। दूसरी तरफ छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि सरकार चाहती है कि सभी विधानसभा क्षेत्र में डिग्री कॉलेज खोला जाए। इस दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। ढुल्लू महतो ने कहा कि एक पंचायत में 5 से 7 हजार की आबादी होती है।ऐसे में 61 पंचायत क्षेत्र के छात्र छात्राओं के लिए सरकार गंभीर क्यों नहीं है।

मसाला उठने पर निर्दलीय विधायक अमित यादव ने भी कहा कि उनके क्षेत्र में भी डिग्री कॉलेज शुरू नहीं हो रहा है। कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे ने कहा कि उनके जिलों में कॉलेज भवन बनकर तैयार है लेकिन संचालन शुरू नहीं हो रहा है। सत्ता पक्ष द्वारा मामले को उठाने पर विपक्ष ने जमकर चुटकी ली।

ग्रामसभा की सहमति के बिना दिया जा रहा अबुआ आवास

विधायक लंबोदर महतो ने सदन में ध्यानाकर्षण के तहत अबुआ आवास योजना में गड़बड़ी का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बगैर मनमाने तरीके से लाभुकों की प्राथमिकता सूची तैयार की गई है। लाभुकों के चयन में ग्राम सभा का अनुमोदन नहीं लिया जा रहा है। लाभुकों के चयन के बाद ग्राम सभा को फैसला लेना था कि किसे आवास दिया जाएगा लेकिन प्रखंड कार्यालयों के द्वारा मनमाने तरीके से लाभुकों की सूची बनाई गई।

सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि अबुआ आवास योजना में गड़बड़ी की कुछ शिकायतें मिली हैं। उसमें सुधार करने को कहा गया है। पहले सेलेक्शन कमेटी लाभुकों की सूची बनाती है और उनका सत्यापन किया जाता है। इसके बाद उस सूची को ग्राम सभा से स्वीकृति मिलने के बाद ही लाभुकों को आवास आवंटन किया जाता है। ग्राम सभा को पूरा अधिकार दिया गया है, जहां-जहां गड़बड़ी की शिकायतें मिली हैं सभी जगह कार्रवाई होगी।

ई-ऑटो चालकों का मामला उठा

विधायक राजेश कच्छप ने सदन में ई-ऑटो चालकों की परेशानी को उठाया। उन्होंने कहा कि बैटरी और मिथनॉल एवं इथनॉल इंधन से चलने वाले वाहनों के लिए परमिट की कोई जरूरत नहीं होती है। परमिट की बाध्यता नहीं होने के बावजूद वाहन चालकों को रूट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जो वाहन चल रहे हैं उन्हें जब्त करके फाइन लिया जा रहा है। इससे गरीब चालक परेशान हैं। मंत्री आलमगीर आलम ने आश्वासन दिया कि नगर विकास विभाग और परिवहन विभाग मिलकर इस समस्या का हल निकालेंगे।

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