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मध्यप्रदेश को बनाया जाएगा ज्ञान परंपरा का केंद्र : केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान

  • केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने किया उज्जैन में डीप-टेक रिसर्च एंड डिस्कवरी सेंटर का वर्चुअल लोकार्पण

भोपाल। केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जय अनुसंधान के विजन को आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को महाशिवरात्रि के पवित्र दिन वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ आस्था और ज्ञान की नगरी उज्जैन में आईआईटी इंदौर के नवाचार, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता अनुभावात्मक विद्यार्जन केंद्र (डीप-टेक रिसर्च एंड डिस्कवरी सेंटर) का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश को नवीन ज्ञान परंपरा के केंद्र बनाया जाएगा।

केन्द्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि 21वीं सदी के इस विद्यार्जन केंद्र से एनईपी 2020 का एक नया अध्याय आज उज्जैन पहुंचा है, जिससे नवाचार और प्रौद्योगिकी को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। उज्जैन खगोलीय ज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा का एक बहुत बड़ा केन्द्र है। आधुनिक खगोल शास्त्र की एक बड़ी आवश्यकता को पूरा करने के लिए आईआईटी इंदौर ने लेबोरेटरी काम्प्लेक्स उज्जैन में स्थापित किया है। विज्ञान को अपने मूल जड़ से पुनर्स्थापित करने की दिशा में विश्व को यह भारत की देन होगा।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में हमें मध्य प्रदेश को दुनिया की अग्रणी ज्ञान के हब के रूप में स्थापित करना है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन कॉरिडोर ही इसका नेतृत्व करेगा। आईआईटी इंदौर के नेतृत्व में उज्जैन और इंदौर कॉरिडोर में हमें भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित एक नया इंडिया मॉडल बनाना है। उन्होंने कहा कि बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि आज उज्जैन में नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता अनुभावतमक विद्यार्जन केंद्र का उद्घाटन कर इसकी नींव रखी गई हैं। आईआईटी इंदौर का यह डीपटेक रिसर्च सेंटर नई शिक्षा नीति के क्रियान्वन का एक उदाहरण है, जो नवाचारों को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में मध्यप्रदेश वासियों का लोहा संसार मान रहा है। प्रदेश के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में विदेशों में भी सफलता की झंडे गाड़े हैं। मध्य प्रदेश के लोगों के रग-रग में शोध, अनुसंधान और नवाचार समाया हुआ है। इन नवाचारों को उचित प्लेटफार्म प्रदान कर उनका भविष्य के उपयोग के लिए क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान एवं अन्य संस्थाओं के निर्देशकों और शिक्षकों से कहा कि भारतीय समृद्ध वैज्ञानिक परंपरा को भारतीय मूल भाषाओं में समझे। उन्होंने कहा कि 300 से 400 वर्ष पहले किए गए हमारी वर्षा की गणना, हजारों वर्ष पूर्व की हमारी सटीक काल गणना आदि अनेक खोजों को गहराई से जानें। कार्यक्रम को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी संबोधित किया।

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