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चीन सीमा पर भारत ने स्वदेशी आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का परीक्षण करके दिखाई ताकत

– ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीनी विमानों और तुर्किये ड्रोनों के हवाई हमलों को किया था बेअसर

नई दिल्ली, 16 जुलाई । ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीनी विमानों और तुर्किये के ड्रोनों के हवाई हमलों को बेअसर करने वाले स्वदेश निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का बुधवार को भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में 15 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर परीक्षण किया। भारतीय वायु सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दुश्मनों के विमानों को चंद मिनटों में मार गिराने में सक्षम मिसाइलें दागीं। परीक्षण के वक्त इस बात का ध्यान रखा गया कि किसी भी सूरत में अगर दुश्मन के विमान भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन करें, तो उन्हें हर परिस्थिति में मार गिराया जाए।

डीआरडीओ निर्मित यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों का 30 किलोमीटर पहले ही पता लगाकर उसे नीचे ला सकती है। आकाश मीडियम रेंज की हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, भारत डायनामिक्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने तैयार किया है। चीन के साथ तनाव की शुरुआत के समय से ही पूर्वी लद्दाख सीमा पर भारत ने स्वदेश निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर रखा है। भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली 4.5 किमी से 25 किमी की दूरी तय करती है। ये 100 मीटर से 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवाई खतरों से निपट सकती है। यह एक कमांड गाइडेंस सिस्टम का उपयोग करता है। यह सिस्टम हेलीकॉप्टरों, लड़ाकू विमानों और मानव रहित हवाई वाहनों को निशाना बना सकता है।

डीआरडीओ के मुताबिक इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है।आर्मी एयर डिफेंस ने आज डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर लद्दाख सेक्टर में 15 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर परीक्षण किया। इस दौरान सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने अत्यंत ऊंचाई वाले क्षेत्र में अत्यंत तेज गति से चलने वाले लक्ष्य विमानों पर दो सीधे प्रहार किए। लांच प्लेटफार्म को दोनों पहियों और ट्रैक वाहनों के साथ एकीकृत किया गया है जबकि आकाश सिस्टम को मुख्य रूप से एक हवाई रक्षा (सतह से हवा) के रूप में बनाया गया है। इसे मिसाइल रक्षा भूमिका में भी टेस्ट किया गया है।

आकाश प्राइम प्रणाली भारतीय सेना में आकाश वायु रक्षा प्रणालियों की तीसरी और चौथी रेजिमेंट का गठन करेगी। इस प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीनी विमानों और तुर्की ड्रोनों का उपयोग करके पाकिस्तानी सेना के हवाई हमलों को विफल करने में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। आकाश प्रक्षेपास्त्र की एक बैटरी में तीन-तीन मिसाइलों के साथ चार लांचर हैं, जो एक दूसरे से जुड़े हैं। प्रत्येक बैटरी 64 लक्ष्यों तक को ट्रैक करके उनमें से 12 तक पर हमला कर सकती है। आकाश प्रणाली पूरी तरह से गतिशील और वाहनों के चलते काफिले की रक्षा करने में सक्षम है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली ने अपना दम दिखाया है। ये सिस्टम हाल ही में पाकिस्तान को चीन से मिले एचक्यू-9 डिफेंस सिस्टम पर भारी पड़ा है। चीनी एयर डिफेंस भारत की मिसाइलों के हमले के सामने बेदम दिखा। भारत ने अपने लक्ष्य आसानी से भेदे, लेकिन आकाश सिस्टम ने दुश्मन के हमलों को हवा में ही रोक दिया। तुर्किये ड्रोनों के हवाई हमलों को भी बेअसर करने वाले स्वदेश निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम के प्रदर्शन को देखते हुए कई देशों ने इसे इच्छा जताई है। हालांकि, भारत के रक्षा निर्यात प्रयासों को झटका देते हुए ब्राजील ने आकाश मिसाइल प्रणाली हासिल करने के लिए फिलहाल बातचीत रोक दी है।

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