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उप्र लोस : बीजेपी के सामने जीती सीटें बचाने और हारी सीटें जीतने की दोहरी चुनौती

लखनऊ। लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। यूपी में सात चरणों में 80 सीटों पर चुनाव होगा। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत यानी आठ सीटों के वोटर 19 अप्रैल को अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। 2019 के चुनाव में इन आठ सीटों में से चार बीजेपी, तीन बसपा और एक को सपा ने जीता था।

गौरतलब है पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था। इस बार सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। और रालोद बीजेपी के साथ है। बसपा किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। गठबंधन के उलटफेर और बदले राजनीतिक हालातों में यूपी में पहले चरण के मतदान में बीजेपी के सामने जीती सीटें बरकरार रखने के साथ हारी सीटों पर जीत हासिल करने की दोहरी चुनौती है।

2019 में सहारनपुर सीट बसपा के हाजी फजर्लुर रहमान ने करीब 22 हजार मतों के अंतर से बीजेपी की राघव लखनपाल को हराया। बसपा को 514139 वोट और बीजेपी के खातें में 491722 मत आए। कांग्रेस के इमरान मसूद 207068 वोट पाकर दौड़ में तीसरे रहे। इस बार बसपा ने माजिद अली को प्रत्याषी बनाया है। बीजेपी और कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है। सपा-कांग्रेस में गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के हिस्से आई है। बसपा अकेले मैदान में है। बीजेपी-रालोद एक साथ हैं। 2014 में बीजेपी की राघव लखनपाल ने ये सीट जीती थी। 2004 में सपा और 2009 में बसपा ने यहां जीत दर्ज कराई थी। इस बार बसपा अकेले मैदान में है। सपा-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। बीजेपी को इस बार यहां जीत की पूरी उम्मीद है।

कैराना सीट 2019 में बीजेपी के प्रदीप कुमार ने समाजवादी पार्टी की तब्बसुम बेगम को हराकर जीती। बीजेपी को 566961 और सपा को 474801 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस के हरेंद्र सिंह मलिक 69355 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इस बार बीजेपी ने दोबारा प्रदीप कुमार पर भरोसा जताया है। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन से इकरा हसन मैदान में है। इकरा हसन का ताल्लुक राजनीतिक परिवार से है। बसपा ने अभी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया। अगर बसपा मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में ला पाने में सफल रही तो कांग्रेस-सपा गठबंधन की मुश्किलें बढ़ेंगी। रालोद के साथ आने से बीजेपी की पोजीशन पहले से ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है।

मुजफ्फरनगर सीट से पिछली बार बीजेपी के संजीव कुमार बालियान विजयी हुए। बालियान को 573780 वोट मिले। बालियान ने रालोद प्रमुख चैधरी अजित सिंह को हराया था। इस बार बीजेपी ने तीसरी बार संजीव कुमार बालियान पर भरोसा जताया है। बसपा ने दारा सिंह प्रजापति और सपा-कांग्रेस गठबंधन ने हरेंद्र मलिक को मैदान में उतारा है। डबल इंजन की सरकार के विकास कार्यो और गन्ना किसानों के लिए योगी सरकार के प्रयासों के चलते यहां बीजेपी की स्थिति मजबूत है। वहीं इस बार रालोद भी उसके साथ है।

बिजनौर सीट 2019 में बसपा के मलूक नागर ने जीती। नागर को 561045 वोट मिले। बीजेपी के भारतेंद्र सिंह के खाते में 491104 वोट पाकर रनर अप रहे। कांग्रेस के नसीमुद्दीन सिद्दीकी 25833 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। बसपा ने इस बार मलूक नागर की जगह चौधरी विरेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है। 2014 में बीजेपी के भारतेंद्र सिंह यहां से विजयी हुए थे। सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से यशवीर सिंह मैदान में हैं। बीजेपी-रालोद गठबंधन में ये सीट रालोद के खाते में है। रालोद ने यहां से चंदन चौहान को टिकट दिया है। आंकड़ों और जातीय समीकरण के हिसाब से इस सीट पर बीजेपी-रालोद गठबंधन विपक्ष पर भारी दिखता है।

नगीना सीट पर पिछले चुनाव में बसपा के गिरीष चंद्र ने 568378 मत हासिल कर जीती। बीजेपी के डाॅ. यशवंत सिंह 401546 वोट पाकर रनर अप रहे। कांग्रेस की ओमवती 20046 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही। 2014 में बीजेपी के यषवंत सिंह ने यहां जीत दर्ज की थी। बीजेपी की ओर से इस बार ओम कुमार मैदान में हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याषी मनोज कुमार हैं। बसपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले। आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर भी यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। आजाद को इंडिया गठबंधन से समर्थन की उम्मीद थी। लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन ने अपना प्रत्याशी उतारकर उन्हें झटका देने का काम किया। यहां बसपा पहले की अपेक्षा कमजोर हुई है। सपा-कांग्रेस ने पूर्व जज मनोज कुमार को प्रत्याशी बनाकर चौंकाया है।

जानकारों के अनुसार मनोज कुमार नया चेहरा है, जिनकी राजनीतिक पहचान व पकड़ कमजोर है। आजाद समाज पार्टी की नाराजगी भी सपा-कांग्रेस गठबंधन का खेल बिगाड़ेगी। ऐसे में इस बार यहां से बीजेपी को शुभ समाचार मिलने की संभावनाएं प्रबल हैं।

मुरादाबाद सीट 2019 में समाजवादी के डाॅ. एसटी हसन ने 649416 वोट पाकर जीती। हसन ने बीजेपी के कुंवर सर्वेश सिंह को हराया। सर्वेश सिंह के खाते में 551538 वोट आये। 59198 वोट लेकर कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी तीसरे स्थान पर रहे। 2009 में इस सीट को कांग्रेस के अजरूहद्दीन और 2014 में बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ने जीत दर्ज कराई। बसपा ने इस बार इरफान सैफी को मैदान में उतारा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी ने अपने उम्मीदावारों का ऐलान नहीं किया। इस बार गठबंधन का रूप बदला हुआ है। बीजेपी और रालोद की जोड़ी इस सीट पर पिछले चुनाव में मिली हार को जीत में बदल सकती है।

रामपुर सीट समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खां ने 559177 वोट हासिल कर जीती। बीजेपी की जयप्रदा नाहटा 449180 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही, तो कांग्रेस के संजय कपूर 35009 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर रहे। हालांकि बाद में हुए उपचुनाव में रामपुर सीट बीजेपी के घनश्याम लोधी ने जीत ली। रामपुर से बीजेपी ने दोबारा घनश्याम लोधी को मैदान में उतारा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा ने प्रत्याशियों का ऐलान अभी नहीं किया। मोहम्मद आजम खां, उनकी पत्नी और बेटा विभिन्न मामलों में अदालत और जेल के चक्कर काट रहे हैं। सपा यहां कमजोर स्थिति में है। पिछले दो दशकों में कांग्रेस का प्रभाव भी घटा है। बीजेपी ने उपचुनाव में रामपुर लोकसभा और विधानसभा की सीट जीतकर अपनी मजबूती जाहिर कर दी है। ऐसे में बीजेपी का पूरा प्रयास होगा कि वो इस सीट अपनी बढ़त बनाए रखे।

पीलीभीत पिछले चुनाव में बीजेपी के खाते में रही। इस सीट से बीजेपी के वरूण फिरोज गांधी ने 704549 वोट हासिल किए। वरूण ने सपा के हेमराज वर्मा का हराया। वर्मा को 448922 वोट मिले। 2004 से लगाातर ये सीट बीजेपी की कब्जे में है। 2004 में बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी, 2009 में वरूण गांधी, 2014 में मेनका गांधी और 2019 में वरूण गांधी ने यहां भगवा परचम लहराया। सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा की पकड़ ज्यादा मजबूत नहीं रही। ऐसे में 2024 में फिर एक बार यहां बीजेपी का कमल खिलता दिखाई दे रहा है।

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