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सेहत के लिए फायदेमंद है अरंडी के तेल, दर्द सहित कई बीमारियों का है इलाज

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अरंडी का तेल यानी कैस्टर ऑयल कई फायदे हासिल करने के लिए लंबे समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल सेहत समेत खूबसूरती बढ़ाने खासकर बालों के लिए निहायत कारगर साबित हुआ है. उसकी मुख्य विशेषता एंटी बैक्टीरियल और सूजन रोधी गुणों का होना है। तेल का इस्तेमाल कई तरह के कॉस्मेटिक्स, साबुन, मसाज ऑयल और दवाइयों में भी किया जाता है।

अरंडी चौड़े पत्तों का छोटे कद वाला पौधा होता है, जो प्राकृतिक रुप में जन्म लेता है। यह पौधा भारत में आम पाया जाता है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है, जो औषधि रुप में प्रयोग किया जाता है।

जोड़ों के दर्द में : घुटनों या जोड़ों में दर्द की दिक्कत हो तो कैस्टर ऑयल से मालिश कर सकते हैं। इस तेल की मालिश से जोड़ों की सूजन और दर्द कम होने में मदद मिलती है। कैस्टर ऑयल लगाकर गर्म सिंकाई करने पर दर्द तेजी से कम होने में असर दिखता है।

त्वचा के रोग: अरंडी की जड़ 20 ग्राम को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब यह 100 मिलीलीटर शेष बचे तो इसे पिलाने से त्वचा संबंधी रोगों में लाभ होता है। अरंडी के तेल की मालिश करते रहने से शरीर के किसी भी अंग की त्वचा फटने का कष्ट दूर होता है।

बालों के लिए: ऐसे बच्चे जिनके सिर पर बाल नहीं उगते हो या बहुत कम हो या ऐसे पुरुष-स्त्री जिनकी पलकों व भौंहों पर बहुत कम बाल हों तो उन्हें अरंडी के तेल की मालिश नियमित रूप से सोते समय करना चाहिए। इससे कुछ ही सप्ताह में सुंदर, घने, लंबे, काले बाल उगने लग जाएंगे।

सिर दर्द के लिए: सिर पर अरंडी के तेल की मालिश करने से सिर दर्द की परेशानी दूर होती है। अरंडी की जड़ को पानी में पीसकर माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में राहत मिलती है।

जलने पर: अरंडी का तेल थोड़े-से चूने में फेंटकर आग से जले घावों पर लगाने से वे शीघ्र भर जाते हैं। अरंडी के पत्तों के रस में बराबर की मात्रा में सरसों का तेल फेंटकर लगाने से भी यही लाभ मिलता है।

पेट का साफ होना: यदि मल त्यागने में कठिनाई का अनुभव हो तो अरंडी के तेल को दूध के साथ देने से लाभ होता है।

बच्चों के पेट के कीड़े : अरंडी का तेल गर्म पानी के साथ देना चाहिए या फिर अरंडी का रस शहद में मिलाकर बच्चों को पिलाना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। अरंडी के पत्तों का रस रोजाना 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।

पायरिया: अरंडी के तेल में कपूर का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार नियमित रूप से मसूढ़ों की मालिश करते रहने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।

तिल-मस्सों से छुटकारा: पत्ते पर थोड़ा चूना लगाकर तिल पर बार-बार घिसने से तिल निकल जाता है। अरंडी के तेल में कपड़ा भिगोकर मस्से पर बांधने से मस्से मिट जाते हैं। अरंडी का तेल लगाने से जख्म भी भर जाते हैं और इसकों मस्सों पर लगाने से मस्सा ढीला होकर गिर जाता है। अरंडी के तेल को सुबह और शाम 1-2 बूंद हल्के हाथ से मस्से पर मलने से 1 से 2 महीनों में मस्से गिर जाते हैं।

गर्दन में दर्द: अरंडी के बीज की मींगी को दूध में पीसकर रोगी को पिलाने से गर्दन और कमर दोनों जगह का दर्द चला जाता है।

उल्टी और दस्त: 10 ग्राम एरंड की जड़ को छाछ के साथ पीसकर पिलाने से उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।

खांसी: अरंडी के पत्तों का क्षार 3 ग्राम, तेल एवं गुड़ आदि को बराबर मात्रा में मिलाकर चाटने से खांसी दूर हो जाती है।

कब्ज: अरंडी के तेल की 10 बूंदों को रात को सोते समय पानी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज की बीमारी में लाभ होता है।एरंड का तेल 30 ग्राम को गर्म दूध में मिश्री के साथ पीने से कब्ज दूर हो जाता है। 1 कप दूध में 2 चम्मच एरंड का तेल मिलाकर सोते समय पिलाएं। इससे पेट की कब्ज नष्ट हो जाती है।

चोट लगने पर: चोट लगकर खून आने लगे, घाव हो तो एरंड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है। एरंड के पत्ते पर तिल का तेल लगाकर गर्म करके बांधने से चोट से सूजन एवं दर्द में लाभ होता है।

मोच: अरंडी के पत्ते पर सरसों और हल्दी गर्म करके मोच वाले स्थान पर लगायें और पत्ते को उस पर रखकर पट्टी बांध दें।अरण्ड के बीज की गिरी 10 ग्राम काले तिल 10 ग्राम दूध में पीसकर हल्का गर्म करके मोच पर बांध दें।

वायु का विकार: अरंडी के तेल की 2 चम्मच मात्रा को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

इसका उपयोग सावधानी और चिकित्सकीय परामर्श से करें।

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