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लोकसभा चुनाव: चुनाव प्रचार में अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा का फोकस तमाड़ और खरसावां पर

  • 2019 के चुनाव में तमाड़ और खरसावा को छोड़ चार विधानसभा क्षेत्राें में कांग्रेस प्रत्याशी ने बनाई थी अच्छी बढ़त

खूंटी । लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की तिथि जैसे-जैसे निकट आती जा रही है, वैसे-वैसे जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज होती जा रही हैं। इस संसदीय सीट के लिए 13 मई को मतदान होना है। हालांकि अभी चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार ने अपना चुनाव प्रचार और जन संपर्क अभियान तेज कर दिया है।

झारखंड पार्टी या अन्य दलों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है। वैसे असंवैधानिक पत्थलगड़ी को लेकर चर्चा में आई और पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का आह्वान करने वाली बेलोसा बबिता कच्छप ने भी भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है और अपने चुनावी अभियान की शुरूआत भी कर दी है, पर राजनीति के जानकार उनकी उम्मदीवारी को अधिक गंभीरता से नहीं लेते। भाजपा के प्रत्याशी और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और महागठबंधन के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा ने अपना चुनावी दौरा तेज कर दिया। 2019 में के चुनाव में भी दोनों मुंडा एक दूसरे के आमने-सामने थे।

लोकसभा चुनाव के प्रचार में भाजपा और कांग्रस दोनों के ही उम्मीदवारों ने इस बार अपना सारा फोकस तमाड़ और खरसावां विधानसभा क्षेत्र पर केंद्रित कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की प्रचंड लहर के बाद भी अर्जुन मुंडा हरते-हारते 1445 मतों से जीत गये थे। उनकी जीत में तमाड़ और खरसावां विधानसभा क्षेत्र ने ही भाजपा की इज्जत बचाई थी। अर्जुन मुंडा को खरसावां और तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी की तुलना में अच्छी खासी बढ़त मिल गई थी और वे किसी प्रकार चुनाव जीत गए, अन्यथा छह में से चार विधानसभा क्षेत्रों सिमडेगा, कोलेबिरा, तोरपा और खूंटी में तो कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा भाजपा प्रत्याशी से अच्छी खासी बढ़त हासिल कर जीत की दहलीज पर पहुंच गए थे।

तमाड़ और खरसावां में भाजपा को मिली बढ़त ही अर्जुन मुंडा की जीत और कालीचरण मुंडा की हार का कारण बनी थी। अर्जुन मुंडा पिछले कई दिनों से तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के बुंडू, तमाड़,सोनाहातू के ग्रामीण इलाकों का तूफानी दौरा कर रहे हैं और लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्ध्यिों की चर्चा कर भाजपा को वोट देने की अपील कर रहे हैं। भाजपा को भी इस बात की भनक है कि कुछ समुदायो में नाराजगी है और उसे दूर करने के लिए अर्जुन मुुंडा लगातार उस क्षेत्र का दौरा कर रह हैं। इसके पहले अर्जुन मुंडा ने खरसावां क्षेत्र में जमकर चुनाव प्रचार किया था। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा भी अपना अधिकांश समय तमाड़ और खरसावां विधानसभा क्षेत्र में दे रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि तोरपा, खूंटी, कोलेबिरा और सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र में कालीचरण मुंडा को बढ़त मिल जाएगी, यदि तमाड़ और खरसावां में भी अच्छा खासा वोट मिल जाए, तो कालीचरण मुंडा की लगातार हार का सिलसिला टूट सकता है। कालीचरण मुंडा कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले 2009 में कड़िया मुंडा और 2014 के लेाकसभा में अर्जुन मुंडा ने उन्हें मात दी थी।

बड़े भाई के अरोप पर विश्वास करें मतदाता या छोटे भाई के दावों पर

लोकसभा चुनाव के दौरान इन दिनों बाजार में एक बात की जोरदार चर्चा है। एक ओर खूंटी के विधायक और राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी के सगे छोटे भाई नीलकंठ सिंह मुंडा चुनाव की घोषणा के पहले से ही दावा करते आ रहे हैं कि जितना विकास खूंटी विधानसभा क्षेत्र का हुआ है, उतना विकास पूरे राज्य में किसी विधानसभा क्षेत्र का नहीं हुआ है। इसके विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी अपनी चुनावी सभाओं और इंटरव्यू में आरोप लगा रहे हैं कि पिछले दस वर्षों से खूंटी का विकास पूरी तरह ठप है। ऐसे जनता पूछ रही है कि वे किस पर भरोस करें, नीलकंठ सिंह मुंडा के दावों पर या उनके बड़े भाई कालीचरण मुंडा के आरोपों पर। खैर फैसला तो जनता को ही करना है।

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