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भीमा कोरेगांव मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रोफेसर शोमा सेन को जमानत

नयी दिल्ली, 05 अप्रैल : उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव मामले में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत वर्ष 2018 में गिरफ्तार प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता प्रोफेसर शोमा सेन को शुक्रवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता 66 साल की है और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। इसी वजह से अदालत उसके खिलाफ 1967 अधिनियम की धारा 43 डी (5) की कठोरता का प्रावधान लागू नहीं होगी। पीठ ने कहा कि इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि वह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) की सदस्य थीं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मानने का कोई उचित आधार नहीं है कि अपीलकर्ता के खिलाफ 1967 अधिनियम के अध्याय चार और छह में शामिल अपराधों के आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं।
पीठ ने जमानत देते हुए इस बात पर जोर दिया कि किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
पीठ ने आरोप तय करने में देरी, हिरासत की अवधि, आरोपों की प्रकृति और उम्र और चिकित्सा स्थिति के अलावा इस स्तर पर अदालत के समक्ष उपलब्ध सामग्री के समग्र प्रभाव का संज्ञान लेते हुए कहा,“मुझे नहीं लगता कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने के बाद आगे की प्रक्रिया होने तक उसे जमानत पर रिहा होने के विशेषाधिकार से वंचित किया जाना चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने सेन को विशेष अदालत की अनुमति के बिना महाराष्ट्र से बाहर कहीं नहीं जाने की शर्त लगा दी। इसके अलावा अदालत ने उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने, जांच अधिकारी को अपने पते के बारे में सूचित करने, केवल एक मोबाइल फोन रखने, उसे सक्रिय और चार्ज रखने, उसके जीपीएस को चालू रखने और जमानत की शर्तों के तौर हर पखवाड़े संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराने का भी निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने 17 जनवरी 2023 के बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली प्रो. सेन की याचिका पर विचार करने के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज द्वारा की गई प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें जमानत के लिए विशेष अदालत से संपर्क करने के लिए कहा गया था।
नागपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की पूर्व प्रोफेसर सेन को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कई अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ छह जून 2018 को गिरफ्तार किया गया था।

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