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इसरो ने की युवा विज्ञानी कार्यक्रम 2024 (युविका) की घोषणा

नयी दिल्ली, 17 फरवरी : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) स्कूली विद्यार्थियों के लिये ‘युवा विज्ञानी कार्यक्रम’ (युविका) नामक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवीन रुझानों में युवा विद्यार्थियों के लिये अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करना है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक युविका-2024 के लिये पंजीकरण की प्रक्रिया 20 फरवरी से 20 मार्च 2024 तक आयोजित की जायेगी। एक जनवरी, 2024 तक कक्षा नौ में पढ़ने वाले विद्यार्थी इसरो यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम (युविका) के लिये आवेदन करने के पात्र हैं।

इसरो ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा ‘युवाओं को जोड़ो’ प्रतीक के साथ तैयार की गयी है। युविका कार्यक्रम से और अधिक छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) आधारित अनुसंधान के क्षेत्र में शामिल होने तथा इसमें अपना करियर आगे बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।

युवा विज्ञानी कार्यक्रम की परिकल्पना देश के ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुये युवा छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करने के लिए की गयी थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीन रुझानों के प्रति जागरुकता का सृजन करना है। इस कार्यक्रम में दो सप्ताह के कक्षा प्रशिक्षण, प्रयोगों का व्यावहारिक प्रदर्शन, कैनसैट, रोबोटिक किट, इसरो वैज्ञानिकों के साथ मॉडल रॉकेटरी बातचीत और क्षेत्र के दौरे की परिकल्पना

की गयी है।

इस कार्यक्रम का आयोजन देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुये क्रमशः 111, 153 और 337 विद्यार्थियों की भागीदारी के साथ वर्ष 2019, 2022

और 2023 में सफलतापूर्वक किया गया था। छात्रों को भौगोलिक स्थानों के आधार पर पांच बैचों में विभाजित किया गया और इन्‍हें विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), यूआर राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी), अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईएसएसी), सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) में प्रशिक्षण दिया गया।

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